पटना: बिहार में विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेताओं और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी के बीच जिस तरह की बयानबाजी हो रही है, उससे यह तय माना जा रहा है कि मांझी विधानसभा चुनाव के पूर्व फिर पलटी मारेंगे।
इस बीच, मांझी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के घटक दल जनता दल (युनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद बिहार की सियासत में अचानक गर्मी आ गई। मांझी ने जहां राजद पर निशाना साधते हुए कहा कि राजद महागठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में जरूर है लेकिन वह बड़े भाई की भूमिका निभा नहीं पा रहा है। इस बयान के बाद राजद के नेता ने मांझी की पार्टी की हैसियत तक बता दी है। राजद नेता और विधायक भाई विरेंद्र ने स्पष्ट कर दिया कि जिसकी जितनी हैसियत होगी, उसी के अनुसार उसे सीटें दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि मांझी इन दिनों महागठबंधन में समन्वय समिति नहीं बनाए जाने से नाराज चल रहे हैं। उन्होंने राजद को इसके लिए 31 मार्च तक अल्टीमेटम भी दे दिया है।
इस बीच, राजद के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बुधवार को मांझी पर जोरदार सियासी हमला बोलते हुए कहा कि उनके पुत्र संतोष मांझी को राजद ने ही विधान परिषद भेजा था। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उस समय भी महागठबंधन में कोई समन्वय समिति नहीं थी।
इधर, अपने पुत्र का नाम घसीटे जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के नेता जीतन राम मांझी ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में राजद के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा, "महागठबंधन में सिर्फ राजद की नहीं चलेगी। बिना समन्वय समिति के कोई काम नहीं होगा। अगर राजद इसके लिए तैयार नहीं है तो हम वृहद महागठबंधन बनाने की दिशा में काम करेंगे।" मांझी ने स्पष्ट करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी बेटे को एमएलसी बनाने के लिए आवेदन नहीं दिया था। उन्होंने (राजद) खुद संतोष को टिकट दिया था। मांझी ने कहा कि राजद को उसका लाभ भी मिला है।
इधर, जद (यू) के प्रवकता संजय सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार और मांझी दो बड़े नेता हैं, मुलाकात हुई तो कई बातें हुई होंगी। राजनीति संभावनाओं का खेल है, कब क्या हो जाए कौन जानता है? आगे-आगे देखिए कई और राजनीतिक धमाके होंगे।
इस बीच, हालांकि राजद के नेता विजय प्रकाश ने कहा कि महागठबंधन में कहीं कोई विवाद नहीं है। मांझी जी खुद कसम खा चुके हैं, कि वे तेजस्वी को मुख्यमंत्री बना कर रहेंगे। बहरहाल, इस चुनावी साल में विपक्षी दलों के महागठबंधन में घटक दल आमने-सामने आ गए हैं। अब देखने वाली बात होगी मांझी मार्च के बाद भी महागठबंधन के साथ रहते हैं या एकबार फिर पलटी मारते हैं।
उल्लेखनीय है कि मांझी पहले राजग के साथ थे, बाद में वे महागठबंधन में चले गए थे।