Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. भारत
  3. राजनीति
  4. बिहार चुनाव: किसका कद बढ़ा, किसको लगा करारा झटका...

बिहार चुनाव: किसका कद बढ़ा, किसको लगा करारा झटका...

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में नीतीश,लालू और राहुल की आपसी एकता रंग लाई है,और चुनाव में महागठबंधन को शानदार सफलता इस बात का सबूत है। डीएनए विवाद,आरक्षण कार्ड और जाति का गणित भाजपा

India TV News Desk
Updated : November 09, 2015 8:35 IST
बिहार चुनाव: किसका कद...
बिहार चुनाव: किसका कद बढ़ा, किसको लगा करारा झटका...

नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में नीतीश,लालू और राहुल की आपसी एकता रंग लाई है,और चुनाव में महागठबंधन को शानदार सफलता इस बात का सबूत है। डीएनए विवाद,आरक्षण कार्ड और जाति का गणित भाजपा पर भारी पड़ गया और एक बार फिर से भाजपा को बिहार में विपक्ष की भूमिका में रहकर ही संतोष करना पड़ेगा। लेकिन इस चुनाव ने राजद नेता लालू प्रसाद की जबरदस्‍त वापसी कराई है।

आइए नजर डालते है उन चेहरों पर जिनको इन चुनावों से सबसे अधिक फायदा या झटका लगा है,आखिर इस चुनाव परिणाम से किसका कद बढ़ा और किसको लगा झटका……

नीतीश कुमार: केज मोदी विरोधी सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभरे

वहीं नीतीश कुमार के एक बार एक बार फिर से बिहार के मुख्‍यमंत्री बनने का न केवल रास्‍ता साफ हो गया है बल्कि,वे भविष्‍य में केंद्र की राजनीति में मोदी विरोधी नेताओं में एक बड़ा चेहरा बनकर उभर सकते हैं। नीतीश की साफ छवि,कांग्रेस और लालू के साथ उनके मधुर संबंध के चलते वह 2019 के लोकसभा चुनाव में केंद्र की राजनीति में भी बड़ी भूमिका निभा सकते है। फिलहाल वे बिहार विधानसभा में मुख्‍यमंत्री के रूप में तीसरी बार लगातार सीएम बनने का गौरव पाने जा रहे हैं जो कि न केवल बिहार की राजनीति बल्कि नीतीश के लिए भी बड़ी बात है।

लालू प्रसाद यादव: सबसे बड़ा फायदा लालू और राजद को

लालू बिहार चुनाव में अगर किसी को सबसे बड़ा फायदा हुआ है तो वह लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी है।अगर इस चुनाव में महागठबंधन को पराजय मिलती तो यह लालू के राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका साबित होता। लेकिन आरक्षण कार्ड के जरिए 90 के दशक वाले लालू का पुराना अंदाज ही वापिस नहीं आया  बल्कि बिहार में पूरे धमक के साथ उनकी पार्टी ने वापसी कर ली है।बेशक विधानसभा में लालू नहीं होंगे लेकिन इस बार उनके दोनों बेटे पहली बार विधायक बनें,लालू के लिए इससे बेहतर राहत की बात क्‍या होगी। भाजपा विरोध की राजनीति करने वाले लालू शुरु से ही मुखर नेता की छवि के लिए जानें जाते रहे हैं लेकिन पिछले कुछ सालों में राजनीति में उनका ग्राफ तेजी से गिरा था और केंद्र की राजनीति में उनको अप्रसागिग मान लिया गया था,यह लालू की वापसी का दौर है।

जीतनराम मांझी: आगे का रास्‍ता आसान नहीं

नीतीश का साथ छोड़कर एनडीए का दामन छोड़ने वाले जीतनराम मांझी को करारा झटका लगा है,उनकी पार्टी को वोट तो मिले हैं लेकिन जिस तरह की सफलता की उम्‍मीद वह कर रहे थे वैसा कुछ नहीं हुआ है। बिहार की राजनीति में उनका कद पहले से कमजोर हुआ है,अब अगर केंद्र में भाजपा उनको कोई बड़ी भूमिका दे तो संभवत: वह वापसी कर सकते हैं,वरना आगे का रास्‍ता उनके लिए आसान नहीं कहा जा सकता।

रामविलास पासवान: पकड़ कमजोर हुई

बिहार में नीतीश कुमार की सफलता ने महादलित के बीच उनकी मजबूत पकड़ को साबित कर दिया है,और रामविलास पासवान ऐसा लगता है केवल अपनी जाति तक सीमित होकर रह गए है।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। Politics News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement