नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव पर देशभर की नजरें थीं और लालू-नीतीश के महागठबंधन ने भाजपा नीत राजग को इस चुनाव में करारी शिकस्त दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए यह चुनाव किसी बड़े झटके जैसा साबित हुआ है, क्योंकि उन्हीं के नेतृत्व में राजग यह चुनाव लड़ रही थी। महागठबंधन ने 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 178 सीटें जीती है।
महागठबंधन में शामिल जेडीयू ने 71 सीटों पर जीत दर्ज की। लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी राज्य में फिर से बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। उसे 80 सीटों पर जीत मिली। आरजेडी-जेडीयू के साथ चुनाव लड़ रही कांग्रेस को 27 सीटों पर जीत मिली।
वहीं, भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सिर्फ 58 सीटों पर सिमट गई। भाजपा की झोली में 53 सीटें आई। भाजपा को सबसे तगड़ा झटका उसके सहयोगी दलों ने दिया। 87 सीटें लेकर मैदान में उतरे लोजपा, रालोसपा और हम को सिर्फ पांच सीटें मिली। लोजपा और रालोसपा ने 2-2 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने 1 सीट पर जीत हासिल की।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) को 3 सीटों पर जीत मिली है। अन्य को 4 सीटों पर जीत मिली।
फिर मुख्यमंत्री बनेंगे नीतीश कुमार-
लगता है कि बिहार की जनता खातिरदारी और मेहमान नवाजी अच्छे से करती है। बिहार की जनता अब इस ट्रेंड को पकड़ती हुई दिख रही है कि राज्य में कोई भी मुख्यमंत्री बनेगा उसे कम से कम 15 साल राज्य की सेवा करने का अवसर तो दिया ही जाएगा। बिहार विधानसभा चुनाव में आए परिणामों में महागठबंधन ने दो तिहाई बहुमत के साथ जबरदस्त जीत हासिल की है। बिहार में महागठबंधन अगली सरकार बनाएगा और पहले से तय मेंडेट के मुताबिक नीतीश कुमार ही बिहार के मुख्यमंत्री बनेंगे।
लालू ने खुद को किंगमेकर साबित किया-
सत्ता जनता को समझती है, परखती है और विकल्प देती है। इस बार के बिहार चुनाव में एक ऐसा व्यक्ति किंगमेकर बनकर उभरा है जिसके नाम की कभी बिहार में तूती बोलती थी। आलम यह है कि लालू प्रसाद यादव ने इस बार बिहार चुनाव में वो जादू करके दिखाया है जो पिछले साल लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। लालू ने बिहार में 240 से ज्यादा रैलियां कर साबित कर दिया कि उनके भीतर राजनीतिक जोश अब भी बाकी है। लालू बेशक तकनीकी रुप से राजनीति से दूर हों लेकिन उन्होंने अपने अनुभव के जरिए वो संभव करके दिखा दिया है जिसकी उम्मीद कई राजनीतिक पंडितों को भी नहीं थी।
लालू की पार्टी ने किया नीतीश से बेहतर प्रदर्शन-
अगर पिछले बिहार विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो नीतीश कुमार की पार्टी ने 110 से ऊपर सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि लालू की पार्टी बुरी स्थिति में थी। वहीं इस बार लालू की पार्टी ने 80 सीटों पर जीत हासिल कर नीतीश की पार्टी को पीछे छोड़ दिया। अब यह संभव है कि नीतीश की कैबिनेट में लालू के खासमखासों को कई अहम पद भी मिल जाएं। खैर नीतीश और लालू के बड़े भाई और छोटे भाई का जुमला काम कर गया और बिहार की जनता को इन दोनों भाइयों का प्यार भा गया।
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