नई दिल्ली: बिहार चुनाव 2015 के परिणाम आठ नंवबर को सुबह आएंगे। अबकी बार किसका होगा बिहार यह राजनीतिक दलों,मीडिया के चुनावी विशेषज्ञों के साथ आम मतदाता के लिए जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। हर दल अपनी जीत का दावा कर रहा है। दरअसल बिहार का चुनाव लालू और नीतीश के लिए जितना महत्वपूर्ण है उतना ही एनडीए के प्रमुख घटक दल भाजपा और सहयोगी जीतन राम मांझी की हम और रामविलास पासवान की लोजपा के लिए भी।
क्या आरक्षण पर लालू का चला दावं चलेगा,या जंगलराज के मुद़दे पर जनता लालू को नकार देगी? क्या स्पेशल पैकेज की पॉलिटिक्स का जादू जनता पर चलेगा या फिर दाल की महंगाई शह औरद मात के खेल में भाजपा को पड़ेगी भारी? हेट स्पीच के शब्द बाण से किसको हुआ नुकसान किसको पहुंचा फायदा ? बिहार चुनाव में डीएनए कंट्रोवर्सी से किसको हुआ फायदा ? दादरी कांड और बीफ विवाद का बिहार चुनाव में कितना हुआ असर? ये कुछ ऐसे प्रश्न है जिनका जवाब जनता के जनादेश से निकलेगा,हर किसी ने अपने अपने अंदाज में चुनाव लड़ा है,जनता ने किसके माथे पर तिलक लगाया है यह तो आने वाले कुछ पलों में आपके सामने आ ही जाएगा।
आइए हम आपको बताते है,बिहार चुनाव 2015 से जुड़े दस बड़ी बातें जो इश्यू बन गए और जिन्होंने मतदाताओं पर गहरा असर छोड़ा है। जानिए दस खास बातें:
1. डीएनए कंट्रोवर्सी– मोदी Vs नीतीश
25 जुलाई मुजफ्फरपुर परिवर्तन रैली में पीएम नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार के डीएनए पर सवाल उठाया। 30 अगस्त को महागठबंधन की ‘स्वाभिमान रैली’ में नीतीश कुमार ने इसे बिहारियों के अपमान से जोड़ा और लाखों डीएनए सैंपल PMO को भेज दिए।
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