पटना: बिहार के मोकामा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय विधायक अनंत सिंह के घर पर छापा मारकर पटना पुलिस ने ए.के-47 रायफल बरामद की है। जानकारी के मुताबिक यह रायफल उनके पैतृक गांव लदमा स्थित घर से बरामद की गई है। वहीं इस मुद्दे पर विधायक अनंत सिंह ने कहा कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है। उन्होंने कहा- 'जिस घर में पिछले 14 साल से ताला जड़ा हुआ है.. मैं वहां गया ही नहीं.. फिर ए.के-47 कहां से आ गया? उन्होंने कहा कि यह सब उन्हें फंसाने के लिए किया जा रहा है।'
इंडिया टीवी संवाददाता नीतिश चंद्रा से बात करते हुए उन्होंने जेडीयू सांसद ललन सिंह का भी नाम लिया और कहा कि ये लोग चाहते हैं कि किसी भी तरह अनंत सिंह को जेल में बंद करो।
पटना के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) कांतेश कुमार मिश्र ने यहां से करीब 70 किलोमीटर दूर बाढ़ में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमें सूचना मिली थी कि मकान में कुछ अवैध हथियार और विस्फोटक छुपाकर रखा गया है। तदनुसार हमने एक छापा मारा। एके. 47 राइफल कागज में लपेटकर रखी गयी थी। गोलियां और विस्फोटक भी बरामद किया गया और बम निरोधक दस्ता जरूरी काम करेगा।’’ सिंह को ‘छोटे सरकार’ के नाम से भी जाना जाता है और उनका एक पुराना आपराधिक रिकार्ड हैं। सिंह को मोकामा के एक ठेकेदार की हत्या की साजिश के मामले में आवाज का नमूना देने के लिए हाल में पटना स्थित पुलिस मुख्यालय बुलाया गया था। विधायक ने अपने पैतृक मकान पर छापेमारी पर नाराजगी भरी प्रतिक्रिया जतायी और आरोप लगाया कि ललन सिंह के इशारे पर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया और इसके तहत जो हथियार बरामद नहीं किये गए हैं, उन्हें बरामद किया जाना दिखाया जा रहा है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान उनके मकान में बुरी तरह से तोड़फोड़ की गई। उल्लेखनीय है कि राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह मुंगेर लोकसभा सीट से जदयू के सांसद हैं जिसके तहत मोकामा विधानसभा क्षेत्र पड़ता है। उन्होंने इस सीट पर जीत मोकामा से विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को भारी अंतर से हराकर हासिल की है। नीलम देवी कांग्रेस के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ी थीं। यद्यपि मिश्रा ने विधायक द्वारा लगाये गए आरोपों को खारिज किया और कहा कि छापेमारी की कार्रवाई एक मजिस्ट्रेट के साथ ही मकान की देखरेख करने वाले एक व्यक्ति की मौजूदगी में कानून के मुताबिक की गई। इसके अलावे पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी करायी गई।
बताया जाता है कि सिंह की पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नजदीकी थी लेकिन 2015 विधानसभा चुनाव से पहले वह कुमार से अलग हो गए और बाद में जदयू छोड़ दी। सिंह ने मोकामा सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ा और सीट बरकरार रखी। उसके बाद से सिंह जदयू के नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं कि वे उन्हें आपराधिक मामलों में फंसाने के षड्यंत्र रच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सिंह 2005 में राजनीति में उतरे थे जब वह जदयू के टिकट पर मोकामा सीट से चुनाव लड़े थे और गैंगेस्टर से नेता बने सूरज भान सिंह को हराकर जीत हासिल की थी। सीट उससे पहले अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह के पास रही थी जो तत्कालीन राबड़ी देवी सरकार में मंत्री भी रहे थे। (इनपुट-भाषा)