पटना: नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 भले ही लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया है, परंतु इस विधेयक को समर्थन देने के कारण बिहार में सत्ताधारी जनता दल (युनाइटेड) में शुरू हुआ विरोध विराम नहीं ले पाया है। जेडीयू के नेता विरोध करने वालों के व्यक्तिगत विचार बताकर किसी प्रकार के मतभेद से इंकार कर रहे हैं, परंतु इस मुद्दे को लेकर पार्टी में मतभेद बना हुआ है। बिहार के मुख्यमंत्री और पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के नजदीकी माने जाने वाले पार्टी उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर लगातार जेडीयू के इस 'रुख' का विरोध कर रहे हैं।
किशोर ने गुरुवार को एक बार फिर नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध किया है। किशोर ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर लिखा, ‘हमें बताया गया है कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं, बल्कि लोगों को नागरिकता देने के लिए है। लेकिन सच्चाई यह है कि एनआरसी और यह (नागरिकता संशोधन विधेयक) सरकार के हाथ में एक ऐसा घातक जोड़ हो सकता है, जिसके जरिए धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव कर उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।’
इससे पहले बुधवार को भी प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार पर कटाक्ष करते हुए ट्विटर पर लिखा था, ‘नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने से पहले जद (यू) नेतृत्व को उनलोगों के बारे में भी सोचना चाहिए, जिन्होंने 2015 में उनपर भरोसा और विश्वास जताया था। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि 2015 की जीत के लिए पार्टी और इसके प्रबंधकों के पास जीत के बहुत रास्ते नहीं बचे थे।’
पार्टी के नेता पवन वर्मा और गुलाम रसूल बलियावी भी इस मामले में अपना विरोध जता चुके हैं। उन्होंने नीतीश कुमार से राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर समर्थन पर दोबारा विचार करने का अनुरोध किया था, परंतु पार्टी ने उनके अनुरोध को दरकिनार करते हुए राज्यसभा में इस विधेयक का समर्थन किया है। इस बीच, पार्टी की बिहार इकाई के अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने इन नेताओं के बयानों को उनकी निजी राय बताई है।
भाजपा के साथ बिहार में सरकार चला रहे जद (यू) के प्रदेश अध्यक्ष सिंह ने कहा कि प्रशांत किशोर बार-बार पार्टी के निर्णय से अलग अपनी बात रख रहे हैं, तब पार्टी इस मुद्दे पर सोचेगी कि आगे क्या निर्णय लेना है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वह राष्ट्रीय पदाधिकारी हैं। इधर, बिहार के मंत्री और जद (यू) के वरिष्ठ नेता संजय झा भी कहते हैं कि नीतीश कुमार पार्टी के अध्यक्ष हैं, और उनसे ऊपर कोई नहीं है।
प्रशांत किशोर पर हो सकती है कार्रवाई
इस बीच सूत्रों के हवाले से पता चला है कि प्रशांत किशोर और पूर्व राज्यसभा सांसद पवन वर्मा ने नागरिकता संशोधन बिल पर जिस तरह से पब्लिक प्लेटफॉर्म पर पार्टी की लाइन के खिलाफ बयान दिए हैं, पार्टी ने उसका संज्ञान लिया है। जल्द ही पार्टी प्रशांत किशोर और पवन वर्मा को उनके बयान के लिए कारण बताओ नोटिस जारी कर सकती है। सूत्रों की माने तो प्रशांत किशोर और पवन वर्मा के खिलाफ पार्टी ऐक्शन भी ले सकती है। (IANS से इनपुट्स के साथ)