कोलकाता. पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हेमताबाद के विधायक देवेंद्र नाथ रे की सोमवार को रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु के विरोध में पार्टी ने उत्तर बंगाल के जिलों में मंगलवार को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। पार्टी ने इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की भी मांग की। रे को सोमवार की सुबह रहस्यमय तरीके से अपने गांव के एक स्थानीय बाजार के पास अपने घर से कुछ मीटर की दूरी पर लटका पाया गया था।
रे 2019 में भाजपा में शामिल हुए थे। इससे पहले, 2016 में वह मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) टिकट पर चुने गए थे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, "हम घटना की सीबीआई जांच की मांग करते हैं। हम पार्थिव शरीर के पोस्टमार्टम की पूरी वीडियोग्राफी कराने की भी मांग करते हैं, ताकि हर पहलू रिकॉर्ड हो सके।"
इस बीच, पुलिस सूत्रों ने कहा कि मृतक की शर्ट की जेब से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ जिसमें दो नामों का जिक्र था। पुलिस ने हालांकि नामों का खुलासा करने से इनकार कर दिया। मृत भाजपा विधायक के परिवार के सदस्यों ने आरोप लगाया कि रे की हत्या उनके राजनीतिक ताल्लुकात की वजह से हुई है और इस मामले की गहन जांच की मांग की।
राज्य के भाजपा नेताओं ने कहा कि लोगों का स्पष्ट मत है कि उन्हें पहले मारा गया और फिर उनके गांव में लटका दिया गया। पश्चिम बंगाल भाजपा ने ट्वीट किया, "उनका अपराध यह था कि वह 2019 में भाजपा में शामिल हो गए।"
आसनसोल से भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने कहा कि 2017 में ममता बनर्जी ने कहा था कि इस देश में लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने ट्वीट कर पूछा, "उन्हें (ममता) अब क्या कहना है? जब तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा विपक्ष के सैकड़ों कार्यकर्ता और समर्थक मारे गए हैं?"
राज्य के वरिष्ठ भाजपा नेता सायंतन बसु ने कहा, "अगर बंगाल में एक निर्वाचित विधायक सुरक्षित नहीं है, तो यहां आम लोगों की सुरक्षा क्या होगी? हम इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग करेंगे। राज्य में कोई कानून-व्यवस्था नहीं है।"
वहीं, उत्तर दिनाजपुर जिले के तृणमूल कांग्रेस के नेता व विधायक अमल आचार्य ने इस घटना को दुखद बताते हुए कहा कि इसके लिए जो भी जिम्मेदार हैं, उन्हें फौरन सजा मिलनी चाहिए। घटना की निंदा करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "रे की हत्या की गई है।" विजयवर्गीय ने हत्या के पीछे रे की राजनीतिक संबद्धता पर भी सवाल उठाए।