नई दिल्ली: 8 नवंबर को नोटबंदी का एक साल पूरा होने जा रहा है, और इस मौके पर सरकार और विपक्ष में इसे सफल और असफल बताने की कवायद जोर पकड़ चुकी है। गुजरात चुनाव प्रचार के लिए अहमदाबाद पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जहां नोटबंदी को मोदी सरकार की सबसे बड़ी भूल बताते हुए इसे एक संगठित लूट करार दिया, वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक ब्लॉग लिखकर सरकार के इस फैसले पर उठ रहे सवालों का जवाब दिया। जेटली ने 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी की घोषणा को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का ऐतिहासिक क्षण करार दिया।
‘नोटबंदी, GST ने छोटे उद्दोगों की कमर तोड़ दी’
गुजरात में कांग्रेस के चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि नोटबंदी और GST देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन फैसलों ने छोटे उद्दोगों की कमर तोड़ दी। मनमोहन ने कहा, '8 नवंबर 2017 को उस विनाशकारी नीति का एक साल पूरा होने जा रहा है जो इस देश की जनता पर थोप दी गई थी। 8 नवंबर देश के इतिहास के साथ-साथ लोकतंत्र के लिए भी एक काला दिन था।' मनमोहन ने कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जिसने ऐसा विनाशकारी कदम उठाया हो कि 86 प्रतिशत करंसी का सफाया हो जाए।
‘भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण’
वहीं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने नोटबंदी को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास का महत्वपूर्ण क्षण बताते हुए कहा कि नोटबंदी ने देश में स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली प्रदान की है जिस पर आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी। ‘नोटबंदी के एक वर्ष बाद’ शीर्षक से लिखे गए अपने ब्लॉग में जेटली ने कहा कि 8 नवंबर को भारतीय अर्थव्यवस्था के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों के रूप में याद किया जायेगा। यह दिवस देश से कालाधन की गंभीर बीमारी के उपचार के इस सरकार के संकल्प को प्रदर्शित करता है। हम भारतीयों को भ्रष्टाचार और कालाधन के संदर्भ में ‘चलता है’ की भावना के साथ रहने को मजबूर कर दिया गया था और इस व्यवहार का प्रभाव मध्यम वर्ग और समाज के निचले तबके के लोगों को भुगतना पड़ रहा था।
‘कालाधन के मामले पर किया SIT का गठन’
जेटली ने कहा कि समाज के एक बड़े तबके के भीतर लम्बे समय से यह तीव्र इच्छा थी कि हमारे समाज को भ्रष्टाचार और कालाधन के अभिशाप से मुक्त किया जाए, और इसी इच्छा के परिणामस्वरूप लोगों ने मई 2014 में जनादेश दिया। मई 2014 में सत्ता संभालने के बाद इस सरकार ने कालाधन की बुराई से निपटने की लोगों की इच्छा को पूरा करने का निर्णय किया और कालाधन के मामले पर SIT का गठन किया। हमारा देश इस बात से वाकिफ है कि किस प्रकार पूर्व की सरकार ने वर्षो तक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को नजरंदाज किया था। उस समय की सरकार की कालाधन के खिलाफ लड़ाई के संदर्भ में इच्छा शक्ति की कमी का एक और उदाहरण 28 वर्षो तक बेनामी सम्पत्ति अधिनियम को लागू करने में देरी करना था।
‘नोटबंदी के उद्देश्य पूरे हुए’
वित्त मंत्री ने कहा कि इस सरकार ने निर्णय किया और कालाधन के खिलाफ लड़ाई के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए 3 वर्षो में सुविचारित और सुनियोजित तरीके से निर्णय किया और कानून के पूर्व के प्रावधानों को लागू किया। SIT के गठन से विदेशी सम्पत्ति के संदर्भ में जरूरी कानून पारित कराने से लेकर नोटबंदी और GST को लागू करने का निर्णय इसी दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि जब देश ‘कालाधन विरोधी दिवस’ मना रहा है, तब एक बहस शुरू हो गई है कि क्या नोटबंदी की कवायद अपने उद्देश्यों को पूरा कर सकी। इस संदर्भ में नोटबंदी अल्पावधि और मध्यावधि में तय उद्देश्यों के संदर्भ में सकारात्मक परिणाम लाने वाला कदम रहा।
‘आने वाली पीढ़ी गर्व करेगी’
वित्त मंत्री ने लिखा, 'इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 1150 शेल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जिनका 22,000 बेनेफिशअरीज ने 13,300 करोड़ रुपये के काले धन को सफेद करने में किया।' जेटली ने कहा कि सम्पूर्ण रूप से यह कहना गलत नहीं होगा कि नोटबंदी से देश स्वच्छ, पारदर्शितापूर्ण और ईमानदार वित्तीय प्रणाली की ओर बढ़ा है। कुछ लोगों को अभी तक इसके फायदे नहीं दिखे हैं। आने वाली पीढ़ी नवंबर 2016 के बाद के राष्ट्रीय आर्थिक विकास को गर्व की भावना के साथ देखेगी क्योंकि इसने उन्हें निष्पक्ष एवं ईमानदार व्यवस्था रहने के लिये प्रदान की है।