नयी दिल्ली। कोविड-19 से बचाव के लिए ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका का टीका अगले साल के पूर्वार्ध में देश में उपलब्ध हो सकता है। एस्ट्राजेनेका के भारत प्रमुख गगनदीप सिंह ने शनिवार को यह जानकारी दी। फिक्की के 93वें वार्षिक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि महामारी की वर्तमान स्थिति में टीके को व्यापक स्तर पर तथा समय रहते उपलब्ध कराना होगा। सिंह ने कहा, “हमने अप्रैल में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ काम करना शुरू किया था और वर्तमान में हम इस टीके के आपातकालीन उपयोग की उम्मीद कर रहे हैं और इसका मतलब है कि 2021 के पूर्वार्ध में यह टीका उपलब्ध हो सकता है।”
बता दें कि ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड बिना किसी शारीरिक दुष्प्रभाव के 90% तक प्रभावी पाई गई है। ब्राजील और ब्रिटेन में हुए परीक्षणों के आधार पर कंपनी ने यह दावा किया है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट (Serum Institute Of India) के साथ एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) की साझेदारी है औऱ कोविशील्ड के टीके का परीक्षण चल रहा है। कंपनी ने कहा, ब्रिटेन, ब्राजील में अंतिम चरण के परीक्षणों के दौरान जिन वालंटियर को कोविशील्ड (Covishield)वैक्सीन की आधी खुराक दी गई, उनमें टीके को 90 फीसदी तक असरदार पाया गया। दूसरी खुराक एक महीने बाद दी गई और औसत स्तर पर टीका 70 फीसदी तक प्रभावी पाया गया है।
टीके के लिए मतदाता सूची का न हो इस्तेमाल
तृणमूल कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार को कोविड-19 का टीका मतदाता सूची के आधार पर नहीं देने की योजना नहीं बनानी चाहिए, बल्कि देश में सभी को टीका देने की व्यवस्था करनी चाहिए। तृणमूल सांसद और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (पश्चिम बंगाल इकाई) के अध्यक्ष शांतनु सेन ने कहा कि ऐसी खबरें मिल रही हैं कि केंद्र सरकार 50 साल की आयु से अधिक के मतदाताओं की सूची के आधार पर टीका देने की योजना बना रही है। सेन ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “मतदाता सूची के आधार पर टीकाकरण कैसे किया जा सकता है? उन नागरिकों के बारे में क्या जिनका नाम मतदाता सूची में नहीं है लेकिन उनके पास अन्य दस्तावेज हैं? क्या उन्हें छोड़ दिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की मांग है कि देश के सभी नागरिकों को टीके का लाभ मिलना चाहिए। सेन ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने कोविड-19 चिकित्सा केंद्रों को बनाने के लिए पांच हजार करोड़ रुपये खर्च किए और उन्हें केंद्र सरकार से कोई मदद नहीं मिली।