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गहलोत ने पूर्व CJI रंजन गोगोई से पूछा सवाल, कहा बताएं पहले सही थे या अब

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दो साल पहले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों द्वारा संवाददाता सम्मेलन किए जाने की घटना का शुक्रवार को जिक्र किया और कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई को अब बताना चाहिए कि वे पहले सही थे या बाद में।

Reported by: PTI
Published on: November 29, 2019 15:08 IST
Ranjan Gogoi- India TV Hindi
Ranjan Gogoi

जयपुर: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में मौजूदा हालात को चिंताजनक करार देते हुए दो साल पहले उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों द्वारा संवाददाता सम्मेलन किए जाने की घटना का शुक्रवार को जिक्र किया और कहा कि पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई को अब बताना चाहिए कि वे पहले सही थे या बाद में। गहलोत भारतीय संविधान को अंगीकृत करने के 70 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विधानसभा में भारत के संविधान तथा मूल कर्तव्यों पर हुई चर्चा में भाग ले रहे थे।

उन्होंने कहा, “उच्चतम न्यायालय के चार न्यायाधीशों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है। पूरा देश सन्न रह गया। दुनिया में इससे क्या संदेश गया? चारों ने कहा कि देश में लोकतंत्र को खतरा है और कल्पना करें कि उनमें से एक देश के प्रधान न्यायाधीश बन गए। तो श्रीमान (रंजन) गोगोई से कोई पूछे कि आपने पहले चार लोगों के साथ जो आरोप लगाए थे वे सही थे या सीजेआई बनने के बाद वही काम किए जो चल रहे थे वे सही हैं, कौन सा सही है बताइए।’’

गहलोत ने कहा, “अब तो वह सीजेआई नहीं हैं, उन्हें देश को बताना चाहिए, देश जानना चाहता है उनसे कि आप चार जजों ने संवाददाता सम्मेलन में कुछ आरोप लगाए थे तो बाद में क्या हो गया आपको। आप बाद में अचानक ही बदल गए। उच्चतम न्यायालय की प्रक्रिया जो पहले थी वह चलती रही आपके जमाने में भी। यह रहस्य बना हुआ है। रहस्य खुलना चाहिए। जनता को पता चलना चाहिए।”

उल्लेखनीय है कि जनवरी 2018 में पूर्व सीजेआई गोगोई ने न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति एमबी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर उच्चतम न्यायालय की कार्य प्रणाली और मामलों के आवंटन को लेकर संवाददाता सम्मेलन किया था। गहलोत ने कहा, ''देश में इस तरह के हालात हैं कि एक तरफ तो न्यायपालिका दबाव में है। आयकर विभाग, ईडी, सीबीआई से एक के बाद एक छापे मरवाए जा रहे हैं। कोई भी बुद्धिजीवी सरकार की व्यक्तिगत स्तर पर भी आलोचना कर दे तो राजद्रोह का मामला दर्ज हो जाता है। क्या यह संविधान में लिखा हुआ है।”

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