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इमरजेंसी पर जेटली का ब्लॉग: हिटलर से की इंदिरा गांधी की तुलना, PM मोदी ने कहा- 'जरूर पढ़ें'

आपातकाल की 43वीं बरसी पर जेटली ने यह भी कहा कि जर्मन तानाशाह की तरह गांधी भी भारत को एक वंशवादी लोकतंत्र में बदलने के लिए आगे बढ़ी थीं। उन्होंने कहा, हिटलर और गांधी दोनों ने कभी भी संविधान को रद्द नहीं किया। उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए एक गणतंत्र के संविधान का उपयोग किया...

Edited by: India TV News Desk
Updated : June 25, 2018 18:01 IST
indira gandhi and arun jaitley
indira gandhi and arun jaitley

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तुलना हिटलर से की और कहा कि दोनों ने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए संविधान का इस्तेमाल किया था। इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था। आपातकाल की 43वीं बरसी पर जेटली ने यह भी कहा कि जर्मन तानाशाह की तरह गांधी भी भारत को एक वंशवादी लोकतंत्र में बदलने के लिए आगे बढ़ी थीं। उन्होंने कहा, "हिटलर और गांधी दोनों ने कभी भी संविधान को रद्द नहीं किया। उन्होंने लोकतंत्र को तानाशाही में बदलने के लिए एक गणतंत्र के संविधान का उपयोग किया।"

भाजपा नेता ने कहा कि गांधी ने अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया, अनुच्छेद 359 के तहत मौलिक अधिकारों को रद्द कर दिया और दावा किया कि विपक्ष ने अव्यवस्था पैदा करने की योजना बनाई थी। उन्होंने कहा कि हिटलर ने अधिकांश सांसदों को गिरफ्तार करा लिया था। जेटली ने कहा, "इंदिरा ने ज्यादातर विपक्षी सांसदों को गिरफ्तार करवा लिया था और उनकी अनुपस्थिति में दो-तिहाई बहुमत साबित कर संविधान में कई सारे संशोधन करवा लिए।"

भाजपा नेता ने कहा कि 42वें संशोधन के जरिए उच्च न्यायालयों के रिट पेटीशन जारी करने के अधिकार को कमजोर कर दिया गया। डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इस शक्ति को संविधान की आत्मा करार दिया था। उन्होंने कहा, "इसके अलावा इंदिरा ने अनुच्छेद 368 में भी बदलाव किया था, ताकि संविधान में किए गए बदलाव की न्यायिक समीक्षा न की जा सके। ऐसी बहुत-सी चीजें थीं, जिसे हिटलर ने नहीं की, लेकिन गांधी ने की।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर लोगों को अरुण जेटली का फेसबुक ब्लॉग पढ़ने को कहा है।

जेटली ने आगे अपने ब्लॉग में लिखा है, "उन्होंने संसदीय कार्यवाही के मीडिया में प्रकाशन पर भी रोक लगा दी। जिस कानून ने मीडिया को संसदीय कार्यवाही को प्रकाशित करने का अधिकार दिया, उसे फिरोज गांधी विधेयक के नाम से जाना जाता था।" उन्होंने कहा, "गांधी ने संविधान और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम तक में बदलाव कर डाला था। संशोधन के जरिए प्रधानमंत्री के चुनाव को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।"

जेटली ने कहा, "जनप्रतिनिधित्व कानून को पूर्वप्रभाव से संशोधित किया गया, ताकि इंदिरा के गैरकानूनी चुनाव को इस कानून के तहत सही ठहराया जा सके।" उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान संविधान में किए गए संशोधनों को बाद में जनता पार्टी की सरकार ने रद्द कर दिया था।

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