अयोध्या: राम मंदिर निर्माण के लिए दबाव बनाने को लेकर अयोध्या में रविवार को होने जा रही विहिप की धर्म सभा से पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि जरूरत पड़े तो शहर में सेना तैनात कर देनी चाहिए। विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के कार्यक्रम (धर्म सभा) के लिए हजारों लोगों ने शहर में एकत्र होना शुरू कर दिया है। शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे भी एक अलग कार्यक्रम के लिए शनिवार को यहां पहुंचे हैं। अखिलेश ने शुक्रवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय को उत्तर प्रदेश की स्थिति का संज्ञान लेना चाहिए। उसे इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और सेना बुलानी चाहिए...क्योंकि भाजपा और उसके सहयोगी दल किसी भी हद तक जा सकते हैं।’’
हालांकि, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने उनके इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख की टिप्पणी से उनकी हताशा झलकती है क्योंकि यह एक धर्म सभा है और इसके लिए सेना की जरूरत नहीं है। यह पूछे जाने पर कि मुस्लिमों का एक वर्ग इस कार्यक्रम को लेकर आशांकित है, उन्होंने इस प्रकार के भय को दूर करने का प्रयास किया। उन्होंने पीटीआई से कहा, ‘‘किसी को भी डरने की (किसी चीज से) जरूरत नहीं है क्योंकि उत्तर प्रदेश में शांति है। सरकार ने किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए हैं।’’ वर्ष 1990 में निहत्थे कारसेवकों पर हुई गोलीबारी का जिक्र करते हुए मौर्य ने कहा, ‘‘यदि अखिलेश यादव को लगता है कि 1990 जैसी नौबत आएगी, तो (मुख्यमंत्री) योगी आदित्यनाथ नीत सरकार के तहत यह सूरत नहीं बनेगी। हम लोग सभी को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया करेंगे और सभी आवश्यक कार्रवाई करेंगे। ’’
उप्र के उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह एक धर्म सभा है और सेना तैनात करने की कोई जरूरत नहीं है तथा अखिलेश को अवश्य ही इस बात को समझना चाहिए।’’ विहिप की धर्म सभा की पूर्व संध्या पर अयोध्या नगर एक किले में तब्दील हो गया है, जहां सुरक्षा की बहुस्तरीय व्यवस्था की गई है और ड्रोन तैनात किए गए हैं। प्रदेश पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि एक अपर पुलिस महानिदेशक, एक पुलिस उप-महानिरीक्षक, तीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, 10 अपर पुलिस अधीक्षक, 21 पुलिस उपाधीक्षक, 160 इंस्पेक्टर, 700 कांस्टेबल, 42 कंपनी पीएसी, पांच कंपनी आरएएफ, एटीएस कमांडो और ड्रोन तैनात किए गए हैं। यह धर्म सभा छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा ढहाये जाने के बाद से सबसे बड़ा धार्मिक समागम बताया जा रहा है। वहीं, कुछ मुस्लिम नेता इसे 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले मतदाताओं के ध्रुवीकरण की दिशा में उठाया गया एक कदम मान रहे हैं।
मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्यों ने हाल ही में कहा था कि वे लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि उन्हें बाबरी मस्जिद का ढांचा ढहाये जाने के बाद 1992 में मुसलमानों पर हुए हमले याद आ रहे हैं। राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद मालिकाना हक याचिका से जुड़े याचिकाकर्ता मोहम्मद उमर ने कहा, ‘‘अयोध्या हमारा जन्म स्थान है, हम यहां कई पीढ़ियों से रहते आ रहे हैं लेकिन हमे अब भी याद है कि किस तरह से विहिप और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने छह दिसंबर को मस्जिद का ढांचा ढहाये जाने के बाद मुसलमानों पर हमला किया था। ’’ एक अन्य याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने कहा, ‘‘यह एक तथ्य है कि यहां मुस्लिम आबादी कार्यकर्ताओं के संभावित हमलों को लेकर दहशत के साये में हैं। वे लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।’’ अयोध्या नगर निगम के मेयर रिषिकेश उपाध्याय ने कहा कि मुसलमानों के बीच किसी तरह का डर या संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि कुछ निहित स्वार्थी तत्वों ने अफवाह फैलाना शुरू किया है। दरअसल, उन लोगों को यह लगता है कि राजनीतिक लाभ उठाने की उनकी योजना नाकाम हो जाएगी। मेयर ने कहा कि अयोध्या में माहौल शांतिपूर्ण और सौहार्द्रपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि यहां धर्म सभा पहले भी होती रही है। ऐेसे कुछ स्वयंभू नेता हैं जो अपना राजनीतिक हित साधने के अवसर के तौर पर इसका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनकी योजनाएं फलीभूत नहीं होंगी। उन्होंने बताया कि पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पर्याप्त बंदोबस्त किए गए हैं। कार्यक्रम के लिए करीब 13 पार्किंग स्थल मुहैया किए गए हैं। शिव सेना नेता आरती में शामिल हुए और मंदिर नगरी में महंतों से मिले। उन्हें सरकार ने रैली करने की इजाजत नहीं दी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के सह संयोजक (संगठन) ने इन खबरों को झूठा बताते हुए खारिज कर दिया है कि मुसलमानों में डर की भावना है। सह - संयोजक मुरारीदास ने कहा, ‘‘काफी संख्या में मुसलमानों ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया है। उनके संदेश को फैलाने के लिए 20 नवंबर से दो दिसंबर तक देश भर में करीब 500 कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि एक अभियान भी शुरू किया गया है कि, ‘हम (मुसलमान) अल्पसंख्यक नहीं है, हम हिन्दुस्तान के मालिक हैं।’उन्होंने अयोध्या के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यदि कोई दूसरा वेटिकन सिटी, दूसरा स्वर्ण मंदिर, दूसरा मक्का मदीना नहीं हो सकता, तो फिर कोई दूसरी राम जन्मभूमि भी नहीं हो सकती।