अमरावती। आंध्र प्रदेश विधानसभा ने सोमवार को राज्य विधान परिषद को समाप्त करने संबंधी प्रस्ताव पारित कर दिया। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब कुछ दिन पहले वाईएसआर कांग्रेस सरकार राज्य की तीन राजधानी बनाने की अपनी योजना में उच्च सदन में विपक्षी तेदेपा का बहुमत होने के चलते विफल हो गई थी।
राज्य की 175 सदस्यीय विधानभा में शाम छह बजे हुए मत विभाजन के दौरान उपस्थित सभी 133 सदस्यों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया और संविधान के अनुच्छेद 169 (1) के तहत इसे आम सहमति से स्वीकार कर लिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ताम्मिनेई सीताराम ने घोषणा की कि राज्यों में विधान परिषदों के गठन या निरस्तीकरण से संबंधित अनुच्छेद 169 (1) के तहत प्रस्ताव को बहुमत से स्वीकार कर लिया गया। तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) ने विधान परिषद को समाप्त करने के राज्य सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कार्यवाही का बहिष्कार किया।
तेदेपा प्रमुख एवं विधानसभा में विपक्ष के नेता एन चंद्रबाबू नायडू ने परिषद को समाप्त करने को लेकर सरकार की आलोचना की और कहा कि हालांकि 2004 में उन्होंने इसकी बहाली का 2004 में विरोध किया था लेकिन बाद में उन्होंने जन आकांक्षा के अनुरूप अपना रूख बदल लिया था। वहीं, जन सेना पार्टी के एकमात्र सदस्य आर वरप्रसाद राव ने सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया।
सरकार की ओर से अनुपस्थित रहे 18 सदस्यों में सरकार के सचेतक सी भास्कर रेड्डी भी शामिल हैं। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने इस मुद्दे पर अपने पूर्वाधिकारी के दोहरे मानदंड की आलोचना की। मुख्यमंत्री ने मार्टिन लूथर किंग को उद्धृत करते हुए कहा, ‘‘जो सही है उसे करने का हमेशा सही वक्त होता है।’’