नई दिल्ली: केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार का मंगलवार को बेंगलुरू में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। चामराजपेट श्मशान घाट पर पुजारियों के मंत्रोच्चारण के बीच कुमार के छोटे भाई नंद कुमार ने स्मार्त ब्राह्मण रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार किया। नेताओं द्वारा श्रद्धांजलि दिए जाने और कुमार के पार्थिव शरीर के पंचतत्व में विलीन होने के दौरान “अमर रहे, अमर रहे, अनंत कुमार अमर रहे्’ के नारे हवा में गूंजते रहे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई ने चामराजपेट शवदाह गृह में अंतिम संस्कार से पहले अंतिम दर्शन के लिए उनके शव को भाजपा के प्रदेश कार्यालय और उनके निर्वाचन क्षेत्र में पड़ने वाले नेशनल कॉलेज ग्राउंड में रखा था। बता दें कि अनंत कुमार का सोमवार तड़के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह पिछले कुछ महीनों से फेफड़ों के कैंसर से जूझ रहे थे।
बेंगलुरू दक्षिण सीट से सांसद 59 वर्षीय कुमार ने श्री शंकरा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केन्द्र में देर रात करीब दो बजे अंतिम सांस ली। श्री शंकरा कैंसर फाउंडेशन के न्यासियों के बोर्ड के अध्यक्ष बी आर नागराज ने बताया कि अमेरिका और ब्रिटेन में इलाज कराने के बाद कुमार हाल ही में यहां लौटे थे। केन्द्रीय मंत्री के अंतिम समय में उनकी पत्नी तेजस्विनी और दोनों बेटियां भी वहां मौजूद थीं।
कर्नाटक सरकार ने नेता के सम्मान में 14 नवंबर तक तीन दिन का राजकीय शोक और सोमवार की छुट्टी घोषित की। बेंगलुरू के बेहद प्रिय सांसद को अंतिम विदाई और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कुमार के आवास पर भाजपा नेताओं, रिश्तेदारों, मित्रों के अलावा तमाम लोगों का तांता लगा हुआ था।
1987 में राजनीति में आए कुमार महज 38 साल की उम्र में वाजपेयी कैबिनेट में पहली बार 1998 में केन्द्रीय मंत्री बने। उसके बाद से ही वह हमेशा भाजपा में महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बने रहे, फिर चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी के वक्त में हो या वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समय पर। वह पार्टी की केन्द्रीय और राज्य ईकाइयों के बीच हमेशा बेहद महत्वपूर्ण संपर्क सूत्र रहे। छह बार के सांसद के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।