नई दिल्ली: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की गुरुवार सुबह चाय पर चर्चा हुई। यह चर्चा स्टेट गेस्ट हाउस में करीब 1 घंटे तक चली। इस मुलाकात के बाद नीतीश मुस्कुराते हुए बाहर तो निकले लेकिन जेडीयू या भाजपा, किसी भी दल की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। इससे पहले अमित शाह अपने दो दिवसीय बिहार दौरे के तहत गुरुवार को पटना पहुंचे। अमित शाह पटना के जयप्रकाश नारायण हवाईअड्डे पर विमान से उतरे, जहां भाजपा के नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय सहित कई केंद्रीय मंत्री और बिहार के मंत्री सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया। अमित शाह और नीतीश कुमार आज नाश्ते और डिनर पर एक दुसरे से मिले। ऐसे में सवाल है कि क्या आज लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकल पाएगा? शाह के दौरे को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं में जहां जबरदस्त उत्साह है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमित शाह का पटना शेड्यूल काफी व्यस्त रहने वाला है। बिहार में बहुत दिनों बाद एक ऐसी मुलाकात होने वाली है जिसमें सियासत के सारे पंडितों की नजर गड़ी हुई है।
पिछले कुछ दिनों से ये बहस तेज है कि बिहार की सियासत में बिग ब्रदर यानी बड़ा भाई कौन है। लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम वक्त बचा है ऐसे में बिहार की सियासत में सरगर्मी तेज हो गई है। नीतीश की पार्टी का कहना है कि बिहार में एनडीए गठबंधन में बड़ा भाई जेडीयू है इसलिए सूबे की 40 लोकसभा सीटों में से 25 सीटें जेडीयू को मिले बाकी 15 सीटें बीजेपी और गठबंधन की दूसरी पार्टियों में बांटी जाए। जाहिर है जेडीयू की ये मांग बीजेपी को रास नहीं आ रही है। ऐसे में आज नीतीश और अमित शाह की मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है।
नीतीश और अमित शाह आज दिन में दो बार मुलाकात करेंगे। पहली मुलाकात नाश्ते पर और दूसरी मुलाकात डिनर पर होगी। वैसे ब्रेकफास्ट और डिनर डिपलोमेसी मीटिंग तो बीजेपी और जेडीयू के नेताओं के बीच है लेकिन इस पर नजर आरजेडी, कांग्रेस और पासवान की भी है इसलिए मुलाकात से पहले ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी और नीतीश के बीच सीटों का फॉर्मूला तैयार हो जाएगा? क्या नीतीश की बड़े भैया बनने की बात अमित शाह मान जाएंगे?
हो सकता है अमित शाह लोकसभा में ज्यादा सीटें अपने पास रख लें और नीतीश को विधानसभा में ज्यादा सीट देने का ऑफर दे दें लेकिन ये सारी बातें फिलहाल हवा में है। ना बीजेपी कुछ सीटों को लेकर बोल रही है और ना जेडीयू। बीजेपी जानती है कि आज 2014 वाला माहौल बिहार में नहीं है। पार्टी जानती है नीतीश को छोड़कर वो आगे का रास्ता अकेले तय भी नहीं कर सकती। पिछले चुनाव के आंकड़े भले ही बीजेपी के पक्ष में रहे हों लेकिन फिलहाल जो सूरत है उसमें बीजेपी झुक सकती है।
2014 में बीजेपी 30 सीटों पर लड़ी और उसमें 22 सीटों पर जीत हासिल की थी लेकिन इस बार 30 सीट मुश्किल है। रामविलास पासवान की पार्टी 7 पर लड़ी और 6 सीट पर जीत गई थी। नए फॉर्मूले में पासवान को सीटों का नुकसान हो सकता है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी 3 सीट पर लड़ी और 3 पर जीत मिली थी। नीतीश की पार्टी उस वक्त एनडीए में नहीं थी और 40 में से सिर्फ 2 सीटें जीत पाई थी।
2014 चुनाव में नीतीश की पार्टी ज्यादातर सीटों पर तीसरे नंबर पर थी लेकिन इस बार खबर ये है कि नीतीश की पार्टी 25 सीटों पर लड़ना चाहती है। अब अमित शाह के सामने मुश्किल ये है कि कैसे वो 10-15 सीटों वाले फॉर्मूले पर नीतीश को तैयार करते हैं। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अमित शाह की मुलाकात को लेकर विपक्ष निशाना भी साध रही है।
राजद के वरिष्ठ नेता और और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव ने नीतीश और अमित शाह के डिनर पर हो रही मुलाकात पर तंज कसते हुए ट्वीट कर लिखा, "कल (गुरुवार को) नीतीश कुमार भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को विस्तृत बिंदुवार स्पष्टीकरण देंगे कि उन्होंने जून 2010 में नरेंद्र मोदी का भोज अंतिम क्षणों में क्यों रद्द किया था और अब मजबूरन किन परिस्थितियों में आपको भोज दिया जा रहा है? शायद कहेंगे कि तब मैं मजबूत था अब मजबूर हूं।" शाह शुक्रवार की सुबह दिल्ली लौटेंगे।