Friday, November 22, 2024
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मुख्यमंत्री पद की मांग पर अमित शाह का शिवसेना को जवाब, महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर दिया पहला रिएक्शन

महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। शाह ने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन जितना समय नहीं दिया था।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: November 13, 2019 19:28 IST
Amit Shah- India TV Hindi
Image Source : AMIT SHAH TWITTER Amit Shah

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अमित शाह ने कहा कि "चुनावों से पहले पीएम और मैंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि अगर हमारा गठबंधन जीतता है तो देवेंद्र फडणवीस सीएम होंगे, तब किसी ने आपत्ति नहीं की थी। अब वे नई मांगें लेकर आए हैं, जो हमें स्वीकार्य नहीं हैं।" बता दें कि अमित शाह ने समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में ये बातें कही।

साथ ही शाह ने कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य में सरकार बनाने के लिए 18 दिन जितना समय नहीं दिया था। राज्यपाल ने विधानसभा कार्यकाल समाप्त होने के बाद ही पार्टियों को आमंत्रित किया। न तो शिवसेना और न ही कांग्रेस-राकांपा ने दावा किया और न ही हमने। राज्यपाल ने संविधान के नियमों का पालन किया। अगर आज भी किसी पार्टी के पास संख्या है तो वह राज्यपाल से संपर्क कर सकती है।

उन्होंने कहा, ''महाराष्ट्र में सभी दलों के पास मौका है, अगर आज भी जिस दल के पास बहुमत हो वह गवर्नर के पास जा सकता है। गवर्नर ने किसी को भी मौका देने से इनकार नहीं किया है। कपिल सिब्बल जैसे काबिल वकील बचकानी दलीलें दे रहे हैं जैसे हमें सरकार बनाने का मौका नहीं दिया।''

शाह ने कहा, ''राष्ट्रपति शासन से बीजेपी का नुकसान हुआ, बीजेपी नहीं चाहती कि मध्यावधि चुनाव हो। हम तो शिवसेना के साथ सरकार बनाने को तैयार थे जनता के साथ विश्वासघात हमने नहीं किया।''

गौरतलब है कि कल महाराष्ट्र के गवर्नर और केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बाद महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी। जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। महाराष्ट्र के गवर्नर ने राष्ट्रपति को भेजी एक रिपोर्ट में महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। कांग्रेस ने इसपर कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करके संवैधानिक प्रक्रिया का मजाक उड़ाया है।

राज्यपाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा, चुनाव परिणाम आए हुए 15 दिन हो गए हैं, और समय नहीं दिया जा सकता है, अनुछेद 356 लागू करने के लिए राष्ट्रपति से रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी। इसके बाद राष्ट्रपति ने राज्यपाल की रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट को भेजा। कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला लिया। जिसपर राष्ट्रपति ने अपनी मुहर लगा दी।

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