नई दिल्ली: चुनावी मैनेजमेंट के माहिर बिहार चुनाव के लिए बिसात बिछा चुके हैं उन्हें इस बार भी मोदी के करिश्मे की उम्मीद है। हाईटेक परिवर्तन रथ से हाईटेक प्रचार कर ही भाजपा बिना नेतृत्व के चुनाव लड़ रही है। इस चुनाव ने प्रधानमंत्री की जाति को भी चुनावी माहौल के बीच चर्चा में ला दिया है। इस बार के बिहार चुनाव में सियासी बाजीगर अमित शाह बिहार के दो बड़े चेहरों के बीच विकास की किस धारा को जनता के सामने बेहतर तरीके से पेश कर पाते हैं यह देखने वाली बात होगी। अमित शाह बोले बिहार में बिना किसी की मदद के भाजपा दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है और यह मुझे साफ तौर पर दिखाई दे रहा है।
अमित शाह बोले, “गुजरात में भाजपा की सरकार एक बार आने के बाद दोबारा नहीं गई, मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनी और अब तक है....छत्तीसगढ़ में भी आज भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार है। बिहार में हम भी सत्ता में रहे हैं लेकिन नीतीश जी की सरकार थी। हमारे नेता स्वतंत्र नहीं थे। हम चाहते हैं कि बिहार की जनता इस बार बिहार भाजपा को सौंप दे को इस राज्य को अंग्रिम पंक्ति में ला दिया जाएगा। बिहार में पर्यटन की काफी सारी संभावनाएं हैं...बिहार में जब परीक्षा होती है तो अंक अखबार में छपते हैं...क्या यह विकास है अगर यही विकास है तो हम बिहार की जनता को बताएंगे कि विकसित बिहार क्या होगा। अभी काफी कुछ किया जाना बाकी है। हमारी जो शासन प्रणाली है उसमें मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का अहम रोल होता है। मेरी पार्टी के 90 विधायक नीतीश जी के साथ एकजुट होकर खड़े रहे इसलिए जो भी विकास दिख रहा है वो हुआ है...चाहे इंफ्रास्ट्रक्टर की बात हो या फिर बुनियादी सुविधाओं की। एक बार बिहार भाजपा को सौंप दिया जाए हम बताएंगे कि विकास क्या होता है। आज युवा प्रतिस्पर्धा के दौर में बाहर निकाला है। मध्यप्रदेश भी बीमारू राज्य था हमने वहां भी करके दिखाया है। मैं कहना चाहता हूं कि बिहार की जनता झांसे में नहीं आएगी और वो भाजपा को ही सुनेगी। बिहार में मुख्यमंत्री पद के दावेदार के बारे में अभी कुछ तय नहीं हुआ है।”
उन्होंने कहा, "मुझे भरोसा है कि दो तिहाई बहुमत से भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनेगी। मैं धरातल पर रहने वाला व्यक्ति हूं..मैने जनता से बात की है। अभी चुनाव काफी आगे निकल चुका है और विकल्प सिर्फ जीत है। देखिए लालू जी और नीतीश जी का एक होना हमारी जीत के लिए अहम है। मैने अपने करियर में ऐसा गठबंधन कहीं नहीं देखा। जिस जंगलराज का नारा नीतीश ने दिया..अब वो कह रहे हैं कि जंगलराज कहां था उन्होंने पता नहीं कौन सा चश्मा लगा रखा है। लेकिन जंगलराज बिहार की जनता को पता है। अभी राजद ने एक बंद का ऐलान किया था...जनता ने देख लिया और अभी लॉ एंड आर्डर के डेटा आए नहीं है।"
लालू का मतलब विकास की दुर्दशा क्यों?
शाह बोले, "आपको मालूम नहीं है क्या...पूरे देश को मालूम है कि इसका क्या मतलब है। जो पूरे देश को मालूम हो उस पर चर्चा की जरूरत ही क्या है। लालू और नीतीश देशभर में ऐसे ही नेता है जिनके साथी बिछड़ते रहे हैं। सारों की राजनीति परिवार वाद तक ही रह गई है। उनकी स्थिति प्यासा के गाने की तरह है बिछड़े सभी बारी बारी।
आरक्षण पर बोले शाह
"जहां तक आरक्षण की बात है मैं बीजेपी का स्टैंड क्लियर कर देता हूं। हम आरक्षण विरोधी नहीं है। हम पुर्नविचार पर नहीं सोच रहे हैं। जहां तक भागवत जी का सवाल है उन्होंने कभी नहीं कहा कि वर्तमान आरक्षण व्यवस्था में सुरक्षा की जरूरत है। पिछड़ों को समान मौका मिलना चाहिए। नीतीश जवाब दें कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा है कि आरक्षण की व्यवस्था ठीक नहीं है इस पर क्या करेंगे नीतीश जी। अब राजद और जदयू को तय करना है कि वो कांग्रेस के साथ चुनाव पर जाएंगे कि नहीं। हम जाति नहीं विकास के आधार पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। हम टिकट वितरण के मामले में कभी जाति नहीं देखते।"
बिहार के पैकेज पर-
"सबसे पहले मैं पूछना चाहता हूं 10 साल तक यूपीए ने बिहार के लिए क्या किया। भारत सरकार राज्य की तैयारी से 1 लाख 25 हजार करोड़ का पैकेज दिया जाएगा लेकिन लगता है इसे भी भाजपा का मुख्यमंत्री ही इसे लेगा। मैं कांग्रेस से पूछूंगा कि 2 लाख 25 हजार करोड़ का पैकेज बिहार को क्यों नहीं दिया।"
जनता का सवाल-
कार्यशैली पर बोले शाह, "हर व्यक्ति की सख्सियत और काम करने की शैली अलग होती है। हमने एक कार्य संस्कृति बनाई है और उसी से बिहार चल पाएगा। हर गांव में बिजली होगी, शिक्षा आएगी और रोजगार भी होगा।"
कांग्रेस की परवाह नहीं-
शाह ने कहा, "मैं तो मानता हूं कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार्टी है। लेकिन कई जगह वो काफी पीछे रह गए हैं। स्वयं कांग्रेस अध्यक्ष ने तय कर लिया है कि उन्हें सबसे पहले भाषण देना है तो उन्होंने खुद ही हमें बड़ा दल मान लिया है। आजादी के 68 सालों में जितना भूमि अधिग्रहण कांग्रेस के शासन में हुआ है वो आने वाले कई सालों में नहीं होने वाला है। कांग्रेस पहले उसका हिसाब दें और सूट बूट के नारे पर मैं कुछ नहीं बोलना चाहता हूं।"
भाजपा पर आरोप उसने बी टीम भी खड़ी कर दीं-
"देखिए आपने जितने भी नाम लिए, नेता जी का नाम लिया, पप्पू यादव का नाम लिया..श्री ओवैसी का नाम लिया। ये सारे के सारे भाजपा के धुर विरोधी हैं। अब कांग्रेस को लगा कि लालू और नीतीश जी मिलकर भाजपा का सामना नहीं कर पाएंगे तो वो उनके साथ आ गए। हमें बिहार चुनाव में निश्चित रुप से कामयाबी मिलेगी। भाजपा कभी जाति के आधार पर वोट नहीं मांगती। हमारे यहां एक ही जाति के प्रत्याशी आ जाएंगे ऐसा भी बिल्कुल नहीं है।"
दिल्ली की हार पर-
"दो राज्यों की चुनावी रणनीति एक सी नहीं होती। एक राज्य की रणनीति दूसरे राज्य में लागू नहीं होती है। हमें रणनीति को बदलना होता है। मेरी पार्टी हर हार से सबक लेती है। हम दो सीट पर थे और आज पूर्ण बहुमत में बैठे हैं।"
पैकेज पर बोले शाह-
"विशेष दर्जे के साथ किसी राज्य को 10 हजार करोड़ से ज्यादा का पैकेज नहीं मिला। नीतीश कुमार बता दें कि बिहार को विशेष राज्य के दर्जे से कितने का पैकेज मिलेगा। महागठबंधन की सरकार बिहार में विकास नहीं कर सकती है। बिहार को ऐसी सरकार चाहिए जिसमे अहंकार न हो। जो सरकार काम करती है वो जनता के सामने आ जाते हैं।"
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