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BLOG: मोदी-ट्रम्प की मुलाकात, पाकिस्तान पर पड़ेगी मार!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की होनी वाली मुलाकात को लेकर जितनी उत्सुकता भारत में है, उससे कई ज़्यादा बेचैनी पाकिस्तान में हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले अमेरिका से कुछ ऐसी ख़बरें सामने आई ह

IndiaTV Hindi Desk
Updated : June 23, 2017 18:06 IST
modi and trump meet
modi and trump meet

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की होनी वाली मुलाकात को लेकर जितनी उत्सुकता भारत में है, उससे कई ज़्यादा बेचैनी पाकिस्तान में हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे से ठीक पहले अमेरिका से कुछ ऐसी ख़बरें सामने आई है जो पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है। पश्चिमी मीडिया में आई ख़बरों के मुताबिक ट्रम्प प्रशासन पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों से संतुष्ट नहीं है।

ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि पाकिस्तान को आतंकियों से निपटने के लिए जो आर्थिक मदद दी जा रही है उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है। पाकिस्तान अपनी ज़मीन से पड़ोसी मुल्कों के खिलाफ चलाई जा रही आतंकी गतिविधियों को रोकने में कामयाब नहीं रहा है। पाकिस्तान गैर-नैटो देश होने के बावजूद अमेरिका का अहम साधी है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन और अमेरिकी थिंक-टैंक का मानना है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान फेल रहा है इसलिए उससे ये दर्जा वापस ले लिया जाए।

गौरतलब है कि इससे संबंधित एक बिल हाउस ऑफ रेप्रेज़ेंटेटिव में पेश कर दिया गया है। इसे पेश करने वाले दो रिपब्लिकन सांसद हैं टेड पो और रिक नोलन। इसके अलावा ट्रम्प प्रशासन ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद भी बंद कर दी जाएगी। और जहां तक आतंकवादियों के खात्मे की बात है कि अमेरिका इसके लिए पाकिस्तानी इलाकों में मौजूद आतंकियों के ठिकानों पर ड्रोन हमले भी करेगा।

अमेरिका से मिली इस धमकी के बाद से पाकिस्तानी मीडिया में ये मुद्दा गरमाया हुआ है। ख़ासतौर पर पाकिस्तानी मीडिया ये विश्लेषण करने पर ज़्यादा ज़ोर दे रहा है कि आख़िर मोदी के दौरे से पहले ये सब क्यों हो रहा है। 25 और 26 जून को मोदी और ट्रम्प की पहली बार मुलाकात होगी। इस दौरान कई मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत होगी। जिसमें सबसे अहम मुद्दा रहेगा आतंकवाद का। उम्मीद है कि इस बार जब ट्रम्प से बात होगी तो इस क्षेत्र में मौजूद आतंकवाद पर कोई ठोस कदम उठाने पर सहमति बनेगी।

अफगानिस्तान एक ऐसा मुल्क है जो सामरिक रूप से भारत और पाकिस्तान के अलावा अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है। 2001 में पाक समर्थित तालिबान के हटने के बाद से अफगानिस्तान में अमेरिकी मौजूदगी बरकरार है। हालांकि ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिकी सेना में भारी कटौती की गई। लेकिन पिछले कुछ वक़्त में जिस तरह के हालात बदले हैं, अफगानिस्तान अमेरिका के लिए अहम हो गया है। यही वजह है कि ट्रम्प प्रशासन ने अफगानिस्तान में 4000 अतिरिक्त फौज भेजने का फैसला किया है।

तालिबान के हटने के बाद से अफगानिस्तान में भारत की पकड़ मज़बूत हुई है। भारत अफगानिस्तान में विकास के लिए हज़ारों करोड़ रुपये की मदद दे रहा है। वहीं पाकिस्तानी ख़ुफिया एजेंसी आईएसआई लगातार तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के ज़रिए वहां की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में काबुल के डिप्लोमैटिक इलाके में हुए भीषण बम धमाके में 90 लोगों की जान चली गई और 400 लोग घायल हो गए थे। अफगान सुरक्षा एजेंसियों ने इसके पीछे हक्कानी नेटवर्क और आईएसआई का हाथ बताया था।

अफगानिस्तान  में पिछले कुछ वक़्त से जो धमाके हुए या फिर विदेशी सेनाओं पर हमले हुए उसके पीछे हक्कानी नेटवर्क का हाथ सामने आया है। पाकिस्तान को हक्कानी नेटवर्क पर लगाम कसने की हिदायत कई बार दी गई लेकिन ऐसा हुआ नहीं। आखिर हो भी कैसे, जब हक्कानी नेटवर्क के खूंखार आतंकियों को पैदा करने वाला खुद पाकिस्तान है। अब न तो पाकिस्तान अमेरिकी ड्रोन हमलों को रोक सकता है और नहीं अपनी ज़मीन से हक्कानी गुट को हटा सकता है।

मोदी जब ट्रम्प से मिलेंगे तब उनके एजेंडे में अफगानिस्तान भी रहेगा। इसके संकेत संयुक्त राष्ट्र में भारत के नुमाइंदे सयैद अकबरुद्दीन ने दे दिए हैं। अकबरुद्दीन ने भारत का पक्ष रखते हुए सुरक्षा परिषद पर सवाल उठाए और कहा कि अफगानिस्तान में जो आतंकी वारदात हो रहे हैं उसे लेकर सुरक्षा परिषद ज़रा भी गंभीर नहीं है। माना जा रहा है कि मोदी ट्रम्प से अफगानिस्तान में सुरक्षा के मद्देनज़र पाकिस्तान पर नकेल कसने को कहेंगे। ताकि पाकिस्तान की ज़मीन से आतंकी गतिविधियां ख़त्म हो, जिसका शिकार भारत भी है।

हालात भी भारत के पक्ष में नज़र आ रहे हैं। ईरान और सीरिया समेत इस इलाके में रूसी प्रभाव को रोकना अमेरिका के लिए ज़रूरी हो गया है। साथ ही जिस तरह से पाकिस्तान के रास्ते चीन खाड़ी के देशों में अपनी पैंठ बढ़ाने की कोशिश कर रहा है उसे लेकर भी अमेरिका चिंतित है। ऐसे हालात में अमेरिका अफगानिस्तान में अपनी मौजूदगी बनाए रखना चाहेगा ताकि इलाके में उसका वर्चस्व कायम रहे। ऐसे में पाकिस्तान के लिए चौतरफा मार है, अमेरिका से मदद मिलनी बंद, पाकिस्तानी ज़मीन पर ड्रोन हमले, हक्कानी नेटवर्क का खात्मा और अफगानिस्तान पर कमज़ोर होती पकड़।

(ब्‍लॉग लेखक अमित पालित देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में न्‍यूज एंकर हैं) 

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