नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर छाई धुंध के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक बयान ने हर तरफ खलबली मचा दी है। खासकर वो लोग ज्यादा चौकन्ने हो गए हैं जो महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए दिन रात तिकड़म लगा रहे हैं। लोग ये बात बखूबी जानते हैं कि शरद पवार हो या पीएम मोदी, दोनों ही दूर की कौड़ी खेलते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि एनसीपी और बीजेडी के सांसद कभी वेल में नहीं जाते हैं और ऐसा नियम उन्होंने खुद के लिए बनाया है, सभी पार्टियों को इनसे सीखना चाहिए।
कोई दूसरा दिन होता तो चल जाता, कोई और घड़ी होती तो ये बात आई गई हो जाती लेकिन जब महाराष्ट्र में शरद पवार ‘पावर’ गेम खेल रहे हों तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस बयान ने बड़े-बड़े सियासी पंडितों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। महाराष्ट्र में राजनीति की चक्की तेज़ी से घूम रही है। सौ से ज्यादा सीटें लेने के बाद भी बीजेपी सरकार बनाने से पीछे हट गई। शरद पवार के सहारे शिवसेना सरकार बनाने का दंभ भर रही है लेकिन सोमवार को पीएम मोदी के इस बयान ने बता दिया कि पिक्चर अभी बाकी है।
पीएम मोदी के बयान से इतनी खलबली क्यों मच गई है, क्यों ऐसा लग रहा है कि बाज़ी किसी भी तरफ पलट सकती है, इसका अगर सटीक अनुमान लगाना है तो पहले पीएम मोदी और शरद पवार के बीच की कैमिस्ट्री को समझिए। दोंनों का लंबा राजनीतिक जीवन रहा है। मोदी जब गुजरात के सीएम थे तब पवार केन्द्र में मंत्री थे। दोनों का संबध इससे भी पुराना है।
इस रिश्ते को गहराई से समझने के लिए थोड़ा पीछे चलते हैं। 10 दिसंबर 2015 को जब शरद पवार की बायोग्राफी का विमोचन हो रहा था तब पीएम मोदी इस दौरान पवार के साथ अपने रिश्ते की सारी कड़ियों के राज सबके सामने खोल रहे थे। पीएम मोदी का ये संवाद बता रहा था कि दोनों के व्यक्तिगत रिश्ते कितने गहरे हैं।
इसी प्रोग्राम में पीएम मोदी ने ये भी बताया कि वो शरद पवार के घर बारामती में जाकर उनके कलेक्शन तक देख चुके हैं। इसी नज़दीकी ने महाराष्ट्र के सारे समीकरणों को फिर से खोल दिया है। शायद इसीलिए एनडीए के सहयोगी रामदास आठवले एक नया फार्मूला लेकर आ गये हैं।
ये फार्मूला सुझाते वक्त आठवले ने पीएम मोदी का भाषण नहीं सुना था, जिसके बाद बाज़ी की धुरी घूम गई है। कांग्रेस को मुस्लिम वोट खोने का डर है इसलिए वो पवार के बताए रास्ते पर चल रही है। शिवसेना की उम्मीदें भी पवार ने बांधी हुई है और लगता है कि बीजेपी की आशा भी वहीं बनी हुई है। अब ये वक्त बताएगा कि क्या इस नाज़ुक मोड़ पर पीएम मोदी और पवार की केमिस्ट्री महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर छाए बादलों को हटा सकेगी या नहीं।