नई दिल्ली: सैफई में सपा मुखिया के जन्मदिन का केक काटे जाते वक्त अमर सिंह मुलायम के साथ मंच पर थे, जबकि आज़म खां मुख्य कार्यक्रम के काफी देर बाद पहुंचे। सपा प्रमुख ने अमर सिंह को अपने हाथों से केक खिलाया। जन्मदिन के जश्न के दौरान अमर सिंह ने कहा था कि मैं पार्टी में भले ही ना रहूं, मैं उनके (मुलायम) दिल में हूं। एक अन्य सवाल के जवाब में अमर सिंह ने कहा, आजम मेरे दोस्त हैं और मैं उनके खिलाफ कुछ नहीं कहूंगा।
इंडिया टीवी ने अमर सिंह से समाजवादी पार्टी से जुड़ने, आज़म खान के साथ उनके संबंधों और आज़म खान औऱ रामगोपाल यादव की टिप्पणियों के संबंध में सवाल पूछे, जिनके अमर सिंह ने पूरी बेबाकी से जवाब दिए। ये हैं अमर सिंह के इंडिया टीवी को दिए इंटरव्यू के प्रमुख अंश:
सौरव शर्मा (एंकर): अमर सिंह जी...आज की बात में आपका स्वागत है...अमर सिंह जी जबसे आपको मुलायम सिंह के जन्मदिन के फंक्शन में देखा गया है...तबसे अटकलें शुरू हो गईं हैं कि आप फिर से समाजवादी पार्टी में जा रहे हैं।
अमर सिंह: मैं कोई चुनाव विश्लेषक नहीं हूं। आजकल एक स्वामी बहुत प्रसिद्ध हैं - स्वामी गुरवानं जो खुद को भगवान कहते हैं... ना तो में योगेन्द्र यादव की तरह विश्लेषक हूं, ना में। भगवान गुरवानं की तरह भगवान हूं, तो इसलिए मैं खुद कैसे अपने भविष्य के बारें में बता सकता हूं। मैं समाजवादी दल में नहीं हूं, लेकिन मुलायम सिंह के दिल में हूं। ये उस दिन भी मैंने काहा था और आज भी कह रहा हूं और दिल में रहने के लिए दल में रहने की ज़रूरत नहीं पड़ती, किसी पद पर रहने की भी ज़रूरत नही पड़ती।
मुलायम सिंह जी से हमारे केवल व्यक्तिगत संबंध नहीं हैं, उससे बढ़ करके एक संवेदनशील, अनुभुतियों का गहरा और आंतरिक संबंध रहा है और उनके जन्मदिवस पर जब हमें आमंत्रण मिला, वहां पर जाना हमारी जिम्मेदारी होती है। मैं आपको बता दूं कि हमारे लिए धर्मसंकट था, हमारे मित्र अरुण जेटली जी के होने वाले दामाद और उनकी पुत्री के लिए भोज था और मुझे अपनी पत्नी को वहां भेजना पड़ा और मुझे वो भोज छोड़कर वहां जाना पड़ा। मैं सब काम छोड़कर उनके जन्मदिवस पर गया, इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए।
सौरव शर्मा: आप कह रहे हैं कि आपको इतने आदर से बुलाया गया, लेकिन आज़म खान कह रहे हैं कि कोई खुद चला जाए, तो नेताजी क्या करेंगे? गाड़ी में तो ड्राइवर और बॉडीगार्ड भी बैठते हैं।
अमर सिंह: इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, मुझे तो कुछ लोगों ने कूड़ा-करकट भी कहा, तो कोयले की खदान में हीरा मिलता है, लेकिन उस हीरे की पहचान जौहरी को होती है, वो कोयले की खदान के कूड़ा करकट से ही हीरा खोज कर लाता है। अगर मुझे मुलायम सिंह जी की गाड़ी में जाकर बैठना ही है या उनके घर में जाना ही है, तो मैं नहीं समझता कि मुझे किसी भी अन्य व्यक्ति की अनुमति की आवश्यकता है। मुलायम जी ने बड़े स्नेह से मुझे ही वो केक खिलाया..वो केक ही नहीं था, वो उनका स्नेह था, जो उन्होंने मुझे दिया, उसके बारे में मैं क्या कहूं। ये स्नेह का जो प्रदर्शन हुआ है, उसको वाद-विवाद का विषय बना कर मैं उसकी सुंदरता को नष्ट नहीं करना चाहता। ये मत कहिएगा कि मैंने आज़म ख़ान के लिए कुछ कह दिया.. मैंने तो सुना भी नहीं है कि आज़म खान ने मेरे बारे में क्या कहा.. और कहा भी है, तो मैं अपनी अलोचना करने वालों के स्तर पर उतरकर उनसे लड़ना नहीं चाहता।
सौरव शर्मा: आज़म खान तो यहां तक कह चुके हैं कि इस ख्याल से भी कि आप दोबारा पार्टी में आ सकते हैं, उन्हें बदबू आती है।
अमर सिंह: मैं इस पर क्या कहूं, और अगर उन्होंने ऐसा कहा है तो मैं उनसे ही पूछूंगा उनकी एक मित्र हैं दुबई में रहती हैं, वो भली हैं, उनसे भी पूछूंगा कि ऐसा कोई इत्र बताओ, जिसको मैं लगाऊं, तो ये बदबू जाए और खुशबू आए।
सौरव शर्मा: लेकिन अमर सिंह जी आपको लेकर समाजवादी पार्टी में विरोध क्यों है...रामगोपाल यादव कह रहे हैं कि पार्लियामेंट्री बोर्ड के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है...वहीं कुछ लोग कहते हैं कि अखिलेश यादव भी नहीं चाहते कि आप पार्टी में हों....और आज़म खान तो बोल ही रहे हैं।
अमर सिंह: बिल्कुल सही कहा, रामगोपाल जी ने कि पार्लियामेंट्री बोर्ड में मेरे आने का कोई प्रस्ताव नहीं हैं। मैं वहां समाजवादी पार्टी में शामिल होने नहीं गया था, एक सामाजिक कार्यक्रम में गया था और चलिए गाड़ी में मैं ज़बरदस्ती बैठ गया और मुलायम सिंह जी कुछ कह नहीं पाए। मगर वहां भाषण तो सिर्फ रामगोपाल जी का और मेरा ही हुआ, तो ये भी क्या मैंने माइक ज़बरदस्ती पकड़कर शुरू कर दिया। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं मुलायम सिंह जी और मुलायम सिंह जी का जन्मदिवस था और उनसे हमारे अच्छे संबंध हैं। उन्होने बुलाया और हम गए..ये प्रश्न अगर आपको मुलायम सिंह जी का साक्षात्कार मिल सके, तो उनसे करना और जहां तक आज़म खान जी साहब का सवाल है या तमाम लोग जो मुझे कूड़ा-करकट या बदबूदार कहते हैं, उनके लिए हम सिर्फ इतना ही कहेंगे कि.. मुखाल्फत से हमारी शख्सियत सुधरती है...और अपनी मुखाल्फत करने वालों की मैं बड़ी कद्र करता हूं।
सौरव शर्मा: आप एक बार ये कन्फ्यूज़न दूर क्यों नहीं कर देते हैं कि आप समाजवादी पार्टी में दोबारा जाना चाहते भी हैं या नहीं....
अमर सिंह: इस सवाल का जवाब मैं ज़रूर दूंगा, लेकिन अगर मुलायम सिंह पूछें, तो दूंगा और जहां तक सवाल है कि अखिलेश ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया और रामगोपाल जी की बात का मैं समर्थन करता हूं कि पार्लियामेंट्री बोर्ड में मेरे जाने का कोई प्रस्ताव नहीं आया है... बाकी किस क्रिया की प्रतिक्रिया हुई है, ये मुझे पता नहीं हैं।
सौरव शर्मा: ये सवाल इसलिए पूछा जा रहा है..क्योंकि आपकी नज़दीकियां देखकर अभी से ही पार्टी में विरोध शुरू हो गया है....आज़म खान ने कहा कि आपको दो बार पार्टी ने राज्यसभा में भेजा है....और अब आप पार्टी का और नुकसान ना करें।
अमर सिंह: मुझे तीन बार राज्यसभा भेजा है, मैं शुक्रगुज़ार हूं और मैं तो चाहता हूं कि उनका बेटा जवान हो रहा है, वो जाए राज्यसभा में, वो खुद मंत्री हैं। मैंने तो राज्यसभा की सीट मांगी नहीं थी, पता नहीं ये बात क्यूं उठ रही है, चलिए मैं बड़ी चुनौती से कहता हूं कि मुलायम सिंह जी बता दें कि अगर सिंह ने अपने जीवन में कभी राज्यसभा के लिए आवेदन किया है। हमने तो राज्यसभा के लिए कभी आवेदन प्रतिवेदन किया ही नहीं, मैं तो मुलायम सिंह जी का ऋणि हूं। आप भी अपनी गलती सुधारिए, दो बार नहीं तीन बार और 12 साल के लिए नहीं 18 साल लगातार...बिना मांगे मुलायम सिंह जी ने बिना आवेदन के बिना प्रतिवेदन के बिना किसी पार्लियामेंट्री बोर्ड के किसी एजेंडे के मुझे तीन बार राज्यसभा भेजा है। 18 साल बहुत होते है अमेरिका का राष्ट्रपति दो बार राष्ट्रपति होता है, उसके बाद नही होता। वामपंथी दलों में जो दो बार राज्यसभा चला जाए, उसे तीसरी बार मौका नहीं मिलता,... प्रकाश कारत, सीता राम दो बार हो चुके हैं, तीसरी बार उन्हें नहीं मिलेगा..तो लोग जीवन भर संघर्ष करते हैं, नहीं पहुंच पाते, मैं तो तीन बार हो आया...और मुलायम जी से आप पूछ लें कि मैंने राज्यसभा कभी मांगा नहीं। इसलिए लोग चिंता ना करें, लोग गहरी नींद सोएं और नींद ना आती हो, तो alprex की गोली से नींद बड़ी अच्छी आती है।