नई दिल्ली: जिस दिन का इंतज़ार कांग्रेस का हर नेता कर रहा था, जिस दिन का इंतज़ार कांग्रेस का हर कार्यकर्ता कर रहा था, आखिरकार अब वो दिन आ ही गया। प्रियंका वाड्रा को कांग्रेस पार्टी में शामिल कर लिया गया। कांग्रेस को उम्मीद है कि प्रियंका का पार्टी में आना कमाल दिखाएगा और 2019 में यूपी में कांग्रेस का डंका बज जाएगा। डंका बजेगा या नहीं ये तो बाद की बात है। फिलहास, प्रियंका गांधी वाड्रा के कांग्रेस महासचिव बनने पर उनके बारे में 10 बड़ी बातें जान लेते हैं।
10 बिंदुओं में, प्रियंका से जुड़ी 10 बड़ी बातें
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सोनिया-राहुल को समय-समय पर सलाह देती रही हैं। वो कांग्रेस की बैठकों में कई बार शामिल होती रही हैं। उनकी राय और राजनीतिक सोच को कांग्रेस हमेशा तवज्जो देती रही है। कांग्रेस के फैसलों पर पर्दे के पीछे से उनका प्रभाव रहता था, लेकिन अब वो खुलकर सामने आ गई हैं।
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राहुल-सोनिया के चुनाव क्षेत्र की पूरी जिम्मेदारी लेती हैं और हर बार दोनों के चुनाव क्षेत्र में प्रचार करती हैं। रायबरेली और अमेठी के हर चुनाव में प्रियंका ने प्रचार किया है। राहुल-सोनिया की हर जीत में प्रियंका का योगदान रहा है।
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1999 में जब कर्नाटक के बेल्लारी से सोनिया गांधी ने चुनाव लड़ा तब भी बेल्लारी जाकर प्रियंका गांधी ने उनके लिए प्रचार किया था। इस दौरान पूरा इलेक्शन मैनेजमेंट प्रियंका गांधी के ही हाथों में था।
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प्रियंका गांधी की सबसे बड़ी ताकत है, जनता से जुड़ने की उनकी कला। प्रियंका गांधी जनता से सीधा संपर्क साधने में माहिर हैं। महिलाओं के बीच वो काफी लोकप्रिय हैं। जनता से मुखातिब होते वक्त वो दादी-चाची-भाभी कह कर उनका दिल भी जीत लेती हैं।
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साल 2017 में प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में उतरने की अटकलें तेज हुई थी लेकिन उन अटकलों को जमीन हाथ नहीं लग रही थी। हालांकि, अब प्रियंका के सक्रिय राजनीति में उतरते ही अटकलें हकीकत हो गई हैं। उन्हें कांग्रेस की महासचिव बनाया गया है और चुनावों में पूर्वी यूपी का जिम्मा दिया गया है।
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प्रियंका गांधी विरोधियों को जवाब देना बखूबी जानती हैं। 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर चल रही थी। मोदी ने जब प्रियंका के परिवार पर तंज कसा तो उन्होंने मोदी पर पलटवार किया और कहा कि क्या मोदी प्राथमिक पाठशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा था कि “कभी एबीसीडी, कभी आरएसवीपी, आप किसी प्राथमिक पाठशाला को तो संबोधित नहीं कर रहे हैं, देश की जनता में विवेक है।”
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प्रियंका गांधी को जब मौका मिला तो उन्होंने मंच से ऐसी बातें बोली जो सही जगह पर लगी और कांग्रेस का काम आसान हुआ। प्रियंका गांधी राहुल और सोनिया गांधी की ताकत हैं। भाई और मां की राजनीति को आधार देने वाली प्रियंका ने समय समय पर विरोधियों को धूल चटाई है।
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प्रियंका गांधी ने 16 साल की उम्र में अपना पहला राजनीतिक भाषण दिया था और तभी से कांग्रेस के लिए मोर्चा संभालना शुरू कर दिया था। वो राजनीति में न रहकर भी राजनीति की चाणक्य बन कर रही। जब भी उनसे राजनीति में पूरी तरह से उतरने पर सवाल पूछा जाता तो वो मुकर जाती थीं।
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प्रियंका गांधी लंबे समय तक भले ही राजनीति की मुख्यधारा से दूर रहीं लेकिन राजनीति में उनके प्रभाव से कभी कोई इनकार नहीं कर सका। साल 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की साख दांव पर थी। तब की बीएसपी की सरकार को उखाड़ने के लिए प्रियंका गांधी ने रायबरेली और अमेठी से हुंकार भरी थी।
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अमेठी और रायबरेली में उनहोंने कई महिला ब्रिगेड तैयार की हैं, जो उनकी बात हमेशा ध्यान से सुनती हैं। प्रियंका हमेशा गेमचेंजर की भूमिका में रही हैं। वो जब भी मंच से बोलती हैं, धारदार बोलती हैं। उनकी बात जनता और कार्यकर्ता के दिल में उतर जाती है।