कोरोना संकट से जूझ रहे भारत में कोरोना की दो वैक्सीन को इमर्जेंसी इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है। रविवार को DCGI ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। लेकिन राजनीति के अखाड़े में फिलहाल वैक्सीन को लेकर आरोपों का दौर जारी है। कल ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कोरोना वैक्सीन को बीजेपी की वैक्सीन बताते हुए कहा कि मैं यह वैक्सीन नहीं लगवाउंगा। अखिलेश के बयान के बाद से इंटरनेट सहित राजनीति की दुनिया में कोहराम मच गया।
दिन भर चली फजीहत के बाद रविवार को अखिलेश के सुर कुछ बदले नजर आए। रविवार सुबह ही अखिलेश ने ट्विटर पर अपने पिछले बयान को लेकर सफाई दी। साथ ही आरोपों की अगली कड़ी में अखिलेश ने सरकार से गरीबों को वैक्सीन लगाए जाने की तारीख पूछ डाली।
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अखिलेश ने ट्वीट कर लिखा,
उन्होंने लिखा, 'कोरोना का टीकाकरण एक संवेदनशील प्रक्रिया है इसीलिए भाजपा सरकार इसे कोई सजावटी-दिखावटी इवेंट न समझे और अग्रिम पुख़्ता इंतज़ामों के बाद ही शुरू करे। यह लोगों के जीवन का विषय है अत: इसमें बाद में सुधार का ख़तरा नहीं उठाया जा सकता है।' उन्होंने आगे लिखा, 'गरीबों के टीकाकरण की निश्चित तारीख घोषित हो।'
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भाजपा की वैक्सीन पर भरोसा नहीं
शनिवार को अखिलेश यादव ने ऐलान किया कि वह फिलहाल कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवाएंगे, क्योंकि उन्हे बीजेपी की वैक्सीन पर भरोसा नहीं है।
शनिवार को एसपी प्रमुख और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा,
'फिलहाल मैं टीका नहीं लगवा रहा हूं। मैं बीजेपी की वैक्सीन पर कैसे भरोसा कर सकता हूं, जब हमारी सरकार बनेगी तो सभी को फ्री में टीका लगेगा। हम बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवा सकते।'
'वैज्ञानिकों पर भरोसा'
ट्विटर पर बयान सामने आते ही जैसी ही लोगों ने हमला बोला, वैसे ही अखिलेश ने सफाई देते हुए ट्वीट किया, 'हमें वैज्ञानिकों की दक्षता पर पूरा भरोसा है पर भाजपा की ताली-थाली वाली अवैज्ञानिक सोच व भाजपा सरकार की वैक्सीन लगवाने की उस चिकित्सा व्यवस्था पर भरोसा नहीं है, जो कोरोनाकाल में ठप्प-सी पड़ी रही है।'