लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के महागठबंधन में कुछ भी सही नहीं चल रहा है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यूपी में 11 सीटों पर होने वाले उपचुनावों में अकेले उतरने का ऐलान कर दिया तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी बयान दे दिया कि वह भी उपचुनावों में अकेले उतरेंगे। साथ ही अखिलेश ने कहा कि यदि गठबंधन टूटता है तो वह इसका भी स्वागत करते हैं। दोनों नेताओं के इस बयान के बाद माना जा रहा है कि इन पार्टियों का गठबंधन अब खत्म हो चुका है और अब सिर्फ इसका औपचारिक ऐलान बाकी रह गया है।
अखिलेश ने कहा, 2022 में बनेगी हमारी सरकार
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री सोमवार को लोकसभा चुनावों में अपनी जीत के लिए आजमगढ़ के वोटरों का शुक्रिया अदा करने अपने संसदीय क्षेत्र आए थे। सोमवार को तो अखिलेश ने कहा था कि एसपी और बीएसपी के साथी मिलकर सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ेंगे, लेकिन मंगलवार को उनके भी सुर बदल गए। अब अखिलेश का कहना है कि उनकी पार्टी अकेले भी लड़ने के लिए तैयार है और 2022 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनेगी। साथ ही अखिलेश यादव ने कहा कि समाजवादी पार्टी उपचुनावों में भी सभी 11 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि यदि बहुजन समाज पार्टी के साथ उनका गठबंधन टूटता भी है तो वह उसका भी स्वागत करेंगे।
मायावती ने किया था उपचुनाव अकेले लड़ने का ऐलान
आपको बता दें कि बसपा सुप्रमो मायावती ने भी इससे पहले संभावित उपचुनाव अपने बलबूते लड़ने की पुष्टि करते हुए कहा था कि इससे सपा के साथ गठबंधन के भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। माया ने कहा कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव से उनके रिश्ते कभी खत्म नहीं होने वाले हैं। मायावती ने कहा, ‘सपा के साथ यादव वोट भी नहीं टिका रहा। अगर सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों के साथ अपने लोगों को मिशनरी बनाने में सफल रहे तो साथ चलने की सोचेंगे। फिलहाल हमने उपचुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है।’
11 सीटों पर इसलिए होने वाले हैं उपचुनाव
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से नौ भाजपा विधायकों और सपा, बसपा के एक एक विधायक के सांसद बनने के बाद रिक्त होने वाली 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित है। इन सीटों पर होने वाले उपचुनाव में बसपा के अपने बलबूते चुनाव लड़ने का फैसला मायावती की अध्यक्षता में सोमवार को हुयी पार्टी नेताओं की बैठक में किया गया था। मायावती ने मंगलवार को अपने बयान के जरिए इसकी आधिकारिक पुष्टि की।