Highlights
- मनजिंदर सिरसा ने कहा बात तब बनेगी जब मस्जिद को भी सिख भाइयों की अरदास के लिए खोल दिया जाएगा।
- सिरसा ने कहा कि वे अपने सिख भाइयों से आग्रह करेंगे कि इस तरह के किसी विवाद का हिस्सा न बनें।
- गुरुग्राम में खुले में नमाज का विरोध हो रहा था और स्थानीय लोगों ने नमाज के विरुद्ध प्रशासन से शिकायत की थी।
नई दिल्ली: गुरुग्राम में कुछ गुरुद्वारों को नमाजियों के लिए खोले जाने को अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने विवाद बताया है और कहा है कि बात तो तब बनेगी जब मस्जिद को भी सिख भाइयों की अरदास के लिए खोल दिया जाएगा। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि वे अपने सिख भाइयों से कहेंगे कि इस तरह के विवाद से बचकर रहें। मनजिंदर सिंह सिरसा दिल्ली सिख गुरुद्वार प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष भी हैं।
गुरुग्राम में नमाजियों के लिए गुरुद्वारे को खोलने वाली खबर पर जब इंडिया टीवी ने मनजिंदर सिंह सिरसा की प्रतिक्रिया लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि गुरुग्राम की घटना की उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन हमें इस बात पर जरूर चिंता करनी चाहिए कि वो हमारे लिए अपनी मस्जिद खोलने के लिए अगर तैयार है तो फिर हमें इसके (नमाजियों के लिए गुरुद्वारे को खोलना) बारे में सोचना चाहिए, लेकिन यह एकतरफा नहीं होना चाहिए। मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि वे अपने सिख भाइयों से आग्रह करेंगे कि इस तरह के किसी विवाद का हिस्सा न बनें, क्योंकि इसके जरिए लोग उनका फायदा उठाने का प्रयास करेंगे।
दरअसल गुरुग्राम में नमाज के लिए जगहों में कटौती के बाद शहर के कुछ गुरुद्वारों की तरफ से कहा गया है कि वे अपने यहां के गुरुद्वारे मुस्लिम भाइयों के लिए जुमे की नमाज के लिए खोल रहे हैं। गुरुग्राम के सदर बाजार गुरुद्वारे की तरफ से कहा गया है कि उनका गुरुद्वारा गुरू का घर है और बिना भेदभाव के सभी समुदायों के लिए खुला है। गुरुद्वार के अध्यक्ष शेरदिल सिंह सिद्धू ने कहा है कि उनके गुरुद्वारे की बेसमेंट नमाजियों के वास्ते जुम्मे की नमाज के लिए खोलने का फैसला हुआ है।
गुरुग्राम में कई जगहों पर खुले में नमाज का विरोध हो रहा था और स्थानीय लोगों ने नमाज के विरुद्ध प्रशासन से शिकायत की थी जिसके बाद गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़ने वाली 37 जगहों में से 22 पर ही नमाज की अनुमति दी गई थी। विवाद बढ़ा तो गुरुग्राम के सदर बाजार गुरुद्वारे ने नमाजियों के लिए अपना गुरू घर खोलने की बात कही और अब मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि बात तो तब बने जब सिखों के लिए मस्जिद को भी अरसाद करने के लिए खोल दिया जाए।