चंडीगढ़: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार को कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा नए कृषि कानूनों को लेकर समिति गठित करने के बाद अब अपना आंदोलन समाप्त कर देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा, ‘गेंद अब सुप्रीम कोर्ट के पाले में है और मेरा मानना है कि उसका जो भी फैसला होगा वह सबको स्वीकार्य होगा।’ सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी और केंद्र तथा दिल्ली की सीमाओं पर कानून को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
‘किसानों को धरना खत्म कर घर चले जाना चाहिए’
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद किसान संगठनों द्वारा प्रदर्शन समाप्त करने से इंकार करने पर सीएम खट्टर ने कहा कि अब इसे जारी रखने का कोई कारण नहीं है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को अपना ‘धरना’ समाप्त कर देना चाहिए और अपने घरों को लौट जाना चाहिए। केंद्र द्वारा लागू किए गए नए कृषि कानूनों का समर्थन करने को लेकर किसान संगठनों ने खट्टर को निशाना बनाया है। प्रदर्शनकारी किसानों ने रविवार को करनाल में ‘किसान महापंचायत’ के स्थल पर तोड़फोड़ की जहां खट्टर कानूनों के समर्थन में लोगों को संबोधित करने वाले थे। बता दें कि हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी जननायक जनता पार्टी के विधायकों के एक धड़े ने भी केंद्रीय कानूनों का विरोध किया है।
किसान कृषि कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई 4 सदस्यों की समिति में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन (महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनावत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं। हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। ये किसान तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं। (भाषा)