नई दिल्ली: झारखंड में चुनाव होने वाले हैं और उससे पहले ही क्षेत्रीय दलों के साथ बीजेपी की तकरार शुरु हो गई है। महाराष्ट्र में पहले हीं शिवसेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया है और अब झारखंड में आजसु और लोक जनशक्ति पार्टी ने साथ छोड़ दिया। कल तक झारखंड में एनडीए के साथ ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन पार्टी यानी आजसु साथ-साथ सियासत कर रही थी लेकिन आज अब आंखें दिखा रही है।
ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन ने उन चार सीटों पर भी उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर दी है जहां बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों को उतारने का ऐलान कर दिया है। आजसु का कहना है बीजेपी चाहती है सिर झुकाकर सलाम बजाकर उनके फैसले को हम स्वीकार कर ले लेकिन आजसु ने सारा समीकरण बिगाड़ दिया।
80 में से 9 सीटें बीजेपी देना चाहती थी लेकिन आजसू 14 पर अड़ी थी। सीटों के इस नए समीकरण को बीजेपी सुलझा ही रही थी कि लोकजन शक्ति पार्टी ने इसे और उलझा दिया। राम विलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने एलान किया कि वो झारखंड में अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी।
एलजेपी की बीजेपी के साथ सीटों के बंटवारे पर बात नहीं बन पाई जिसके बाद राम विलास पासवान की पार्टी ने झारखंड की 81 में से 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिया।
अब झारखंड की हालत को ऐसे समझिए। कांग्रेस के साथ आरजेडी और झारखंड मुक्ति मोर्चा है। मुकाबले में बीजेपी अकेली खड़ी है। उसके सारे सहयोगी अलग हो गए हैं। जेडीयू तक को ये लग रहा है ये स्थिति इसलिए आई है क्योंकि बीजेपी का अभिमान आसमान पर पहुंच गया है।
अब कहानी है ये कि घर में मचे इस महाभारत के बीच बीजेपी का कॉन्फि़डेंस कमजोर हो गया है। सियासत के विशेषज्ञ मानते हैं कि आजसु का अलग होना, बीजेपी के लिए कमर पर चोट की तरह है लोकजन शक्ति पार्टी अलग होकर बीजेपी को बता रही है कि बिहार में तो ठीक लेकिन झारखंड में मनमानी बर्दश्त नहीं होगी। चाहे अकेले ही चुनाव क्यों न लड़ना पड़े।