नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में मिली विफलता के बाद 134 साल पुरानी पार्टी कांग्रेस में बिखराव होता दिखाई दे रहा है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व स्तर पर उथल-पुथल के बीच राज्यों में विधायक और नेता इस पुरानी पार्टी से नाता तोड़ने लगे हैं। पिछले एक महीने से तेलंगाना, कर्नाटक और गोवा में कई कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़ी हैं। पार्टी को सबसे बड़ा धक्का कर्नाटक में लगा जहां कांग्रेस के लिए सत्ता गंवाने की नौबत आ चुकी है।
कर्नाटक में छह जुलाई के बाद कांग्रेस के 79 विधायकों से में 13 विधायक अपना इस्तीफा दे चुके हैं, जिससे प्रदेश में 13 महीने पुरानी गठबंधन सरकार के लिए संकट पैदा हो गया है। कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्युलर (JDS) गठबंधन की सरकार है।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद 37 विधायकों वाली पार्टी जेडीएस के साथ मिलकर कांग्रेस ने पिछले साल मई में सरकार बनाई थी। प्रदेश की 225 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस और जेडीएस के साथ-साथ बसपा, क्षेत्रीय पार्टी केपीजेपी व एक निर्दलीय विधायक को मिलाकर गठबंधन सरकार के पास 118 विधायक रहे हैं जोकि बहुमत से सिर्फ पांच अधिक है।
इस गठबंधन ने प्रदेश में 105 विधायकों वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सत्ता में आने से रोका था। लेकिन, पिछले शनिवार को कांग्रेस को तब बड़ा धक्का लगा जब इसके विधायकों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया। कांग्रेस के 13 विधायकों के साथ-साथ जेडीएस के तीन विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया है। केपीजेपी और निर्दलीय विधायकों ने भी सरकार से समर्थन वापस ले लिया है।
कांग्रेस एक तरफ कर्नाटक के संकट से जूझ रही है तो दूसरी तरफ पार्टी के सामने गोवा में भी संकट खड़ा हो गया है, जहां विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चंद्रकांत कवलेकर की अगुवाई में 10 विधायकों ने बुधवार को पार्टी छोड़ दी। कांग्रेस के यह 10 विधायक भाजपा में शामिल हो गए हैं जिससे सत्ताधारी पार्टी के पास अब विधानसभा में 27 विधायक हो गए हैं।
40-सदस्यीय गोवा विधानसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ पांच विधायक बचे हैं। इससे एक महीना पहले तेलंगाना में पार्टी के 18 विधायकों में से 12 ने पार्टी छोड़कर तेलंगाना राष्ट्र समिति का दामन थाम लिया था।