चंडीगढ़: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शिअद नेता बिक्रम सिंह मजीठिया पर मादक पदार्थों के कारोबार में शामिल होने का आरोप लगाने के लिए माफी मांगने से पार्टी की पंजाब इकाई में संकट शुरू हो गया और प्रदेश आप नेतृत्व पार्टी से अलग होने एवं एक अलग इकाई के गठन पर विचार कर रहा है। पंजाब आप ने कहा कि केजरीवाल का‘‘ निरीह तरीके से नतमस्तक’’ हो जाना पीड़ादायक और दुर्भाग्यपूर्ण है। मजीठिया ने आरोप लगाने के लिए केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था।
केजरीवाल के मजीठिया से माफी मांगने से आप की पंजाबइकाई में उथल पुथल मच गयी और पंजाब आप के अध्यक्ष भगवंत मान एवं सह अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने अपने- अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। आप को एक और झटका देते हुए राज्य में उसके सहयोगी दल लोक इंसाफ पार्टी( एलआईपी) ने उसके साथ अपना गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी।
एलआईपी नेता और विधायक सिमरजीत सिंह बैंस ने आज कहा, “ हमने आप के साथ अपना गठबंधन तोड़ने की घोषणा की है। हम उस पार्टी के साथ नहीं जुड़ सकते जिसके मुख्य नेता ने पूर्व मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया से माफी मांगकर निरीह तरीके से आत्मसमर्पण कर दिया।” पंजाब आप के नेताओं ने भी कहा कि वे अब इन आरोपों का सामना कर रहे हैं कि क्या केजरीवाल ने मानहानि के मामले में मजीठिया से माफी मांगकर अकाली दल के साथ समझौता कर लिया है।
केजरीवाल को सत्तारूढ़ कांग्रेस और शिअद- भाजपा के नेताओं की आलोचना का भी सामना करना पड़ा जिन्होंने आप नेता में वोटों की खातिर अपने विरोधियों पर गलत आरोप लगाने की आदत होने का आरोप लगाया। पंजाब आप ने यहां दो दौर की लंबी बैठक की जिसमें पार्टी की दिल्ली इकाई से अलग होकर अलग इकाई के गठन के प्रस्ताव पर चर्चा की गयी। हालांकि अंतिम फैसला आगे के लिए टाल दिया गया। सुबह हुई बैठक में लोक इंसाफ पार्टी के दो विधायकों सहित करीब20 विधायकों ने हिस्सा लिया जबकि शाम में हुई दूसरी दौर की बैठक से कुछ विधायक नदारद रहे।
पंजाब आप के वरिष्ठ नेता कंवर संधू ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ सभी विधायक अरविंद केजरीवाल के राज्य के नेताओं से विचार विमर्श किए बिना माफी मांगने की निंदा करते हैं। इससे पंजाब में पार्टी की स्थिति अस्थिर हो गयी और हमारे पार्टी के स्वयंसेवक, हमारे घटक, यहां तक कि हमारे अप्रवासी भारतीय समर्थक भी बेहद नाराज हैं। हमारी अगली कार्रवाई, अगले विकल्प को लेकर चर्चा की गयी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ दो से तीन प्रस्ताव रखे गए हैं जिनपर गहन चर्चा की गयी। उनमें से एक इससे जुड़ा था कि क्या हमें दिल्ली इकाई से अलग होकर एक नयी इकाई का गठन करना चाहिए या ऐसे ही काम करते रहना चाहिए। इसपर सहमति नहीं बनी, हालांकि अधिकतर विधायक अलग होना चाहते थे। सदस्यों ने कहा कि वे इस माफी से बेहद नाराज हैं जबकि अन्य ने कहा कि वे चाहते हैं कि दिल्ली का नेतृत्व मुद्दे पर माफी मांगे।’’ संधू ने कहा, ‘‘ हालांकि इसपर फैसला इस समय के लिए टाल दिया गया।