पूरे देश में गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और ट्रिपल तलाक पर बयान देने वाले अजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान को पद से हटा दिया गया है।
दरगाह में 805वां सालाना उर्स के मौक़े पर सैयद ज़ैनुल आबेदीन अली ख़ान ने गोहत्या पर प्रतिबंध की मांग की थी। उनका मानना था कि गोमांस को लेकर देश के दो समुदाय के बीच पनप रहे वैमनस्य को समाप्त करने के लिए सरकार को देश में गोवंश की सभी प्रजातियों के वध व मांस बिक्री पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों से भी इस मामले में पहल करते हुए गोमांस न खाने की सलाह दी थी।
उनका मानना था कि गोमांस से दो समुदायों के बीच दूरियां आई हैं। भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को झटका लगा है। ऐसे में जरूरी है कि मुसलमान इस इख्तलाफ को खत्म करने की पहल करें और गोमांस खाना बिल्कुल बंद कर दें। साथ ही सरकार भी गोहत्या और उसके मांस की बिक्री पर पूरे तरीके से प्रतिबंध लगाए। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसी भी तरह का जानवर नहीं काटा जाना चाहिए।
सूफी मौलवियों की ओर से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि पीएम नरेंद्र मोदी को करोड़ों मुसलमानों को राहत देते हुए इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास करना चाहिए और गोमांस को बैन करने के लिए अध्यादेश पारित होना चाहिए। दिल्ली की हजरत निजामुद्दीन औलिया दरगाह के अलावा कर्नाटक के गुलबर्गा शरीफ, आध्र प्रदेश के हलकट्टा शरीफ और नगौर, बरेली, कलियार, भागलपुर, जयपुर और फुलवारी जैसी दरगाहों के मौलवियों ने भी इस मांग का समर्थन किया है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश में बनी भाजपा सरकार की ओर से अवैध बूचड़खानों पर रोक लगाने के फैसले के बाद यह बयान आया है। इसके अलावा राजस्थान, गुजरात और झारखंड जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी अवैध बूचड़खानों पर शिकंजा कसा जा रहा है। सूफी मौलवियों इस बात पर सहमत दिखे कि बूचड़खानें बंद होने से लाखों हिंदू और मुसलमान बेरोजगार होंगे, लेकिन बैन लगाए जाने से दोनों समुदायों के बीच हमेशा के लिए सौहार्द्र कायम हो जाएगा।