नई दिल्ली: 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के पूरे 'गन्ना लैंड' में बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी लेकिन कैराना और नूरपुर उपचुनाव में गन्ना किसानों की नाराजगी का खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा। उपचुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए मोदी सरकार ने गन्ना किसानों को खुश करने का इंतजाम किया है, ताकि यूपी के गन्ना लैंड में उसकी बादशाहत 2019 में भी बरकरार रहे। गन्ना किसानों को राहत देने तथा उनके बकाया भुगतान के लिए केंद्र सरकार 8,000 करोड़ से ज्यादा का व्यापक पैकेज लाने वाला है। सूत्र ने यह जानकारी दी।
गन्ना किसानों का बकाया 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया है। माना जा रहा है कि सरकार का यह कदम 2019 के आम चुनावों में किसानों को आकर्षित करने के उद्देश्य से लिया गया है। सूत्रों के अनुसार, "इस पैकेज में 30 लाख मीट्रिक टन गन्ने के भंडारण किया जाएगा जिससे रुपया सीधे गन्ना किसानों के खातों में हस्तांतरित हो। ऐसे भंडारण की सुविधा होने से गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान होगा तथा मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाने से चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।"
उन्होंने कहा कि भंडारण के निर्माण की कुल अनुमानित कीमत 1,200 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा, "पैकेज में देश में एथनॉल की क्षमता बढ़ाने की 4,400 करोड़ रुपये से ज्यादा की महत्वपूर्ण योजना है।" सूत्रों के अनुसार, "माना जा रहा है कि सरकार ने चीनी की न्यूनतम कीमत 29 रुपये प्रति किलोग्राम तय कर दी है जिससे गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान किया जा सके।"
बता दें कि यूपी के गन्ना किसानों की बदहाली जगजाहिर है। प्रदेश के गन्ना किसानों का 13 हजार करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया है जबकि योगी सरकार के गन्ना मंत्री सुरेश राणा कैराना लोकसभा क्षेत्र से आने वाली थानाभवन विधानसभा सीट से विधायक हैं। बावजूद इसके गन्ना किसानों को भुगतान के लिए परेशानी उठानी पड़ रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम यूपी के बागपत में कैराना उपचुनाव में मतदान से एक दिन पहले गन्ना किसानों के भुगतान की बात कही थी। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शामली की रैली में 14 दिन के अंदर किसानों के भुगतान का आश्वासन दिया था। पर किसानों का दिल नहीं पिघला और बीजेपी उम्मीदवार मृगांका सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा। इस सीट से आरएलडी की तबस्सुम को जीत मिली।