नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को राहत दे दी है। कोर्ट ने लाभ के पद मामले में अयोग्य ठहराए गए AAP के 20 विधायकों के मामले में चुनाव आयोग की सिफारिश को खारिज कर दिया है। साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया है कि विधायकों की याचिका पर दोबारा सुनवाई की जाए। इन विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया गया था, जिस पर कार्यवाई करते हुए चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति से आग्रह किया था कि वह इन्हें अयोग्य घोषित करे। इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने चुनाव आयोग की सिफारिश को मंजूर करते हुए 21 जनवरी को आप के 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द कर दी थी।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी ने 2015 में संपन्न दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटें जीतकर प्रचंड बहुमत हासिल किया था। अरविंद केजरीवाल ने 21 विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। इस नियुक्ति पर सवाल उठने लगे थे और इसे लाभ का पद मानते हुए चुनाव आयोग में अर्जी दी गई थी जिसपर सुनवाई के बाद आयोग ने इन विधायकों को अयोग्य करने की सिफारिश की थी। इस मामले में पहले 21 विधायक शामिल थे, लेकिन राजौरी गार्डन से विधायक जरनैल सिंह ने पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, आम आदमी पार्टी ने तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त अचल कुमार जोति पर गंभीर आरोप लगाए थे।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस चंद्र शेखर की पीठ ने 28 फरवरी को इस मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। इस मामले में अदालत ने विधायकों, चुनाव आयोग और अन्य पक्षों की दलीलें सुनी थीं। सुनवाई के दौरान विधायकों ने अदालत से कहा था कि कथित रूप से लाभ का पद रखने पर उन्हें अयोग्य ठहराए जाने का आयोग का आदेश ‘‘नैसर्गिक न्याय का पूरा उल्लंघन’’ है क्योंकि उन्हें आयोग के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करने का मौका नहीं दिया गया।