नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (आप) में जारी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। आप के असंतुष्ट नेता प्रशांत भूषण द्वारा कारण बताओ नोटिस पर दिए गए जवाब से एक और विवाद खड़ा हो गया है। प्रशांत ने सोमवार को जवाब में कहा कि पार्टी का यह रुख स्टालिन के खौफ की याद ताजा करता है। पार्टी के कारण बताओ नोटिस के जवाब में प्रशांत ने कहा, "जब पार्टी संयोजक या पार्टी के नियंत्रण में शामिल किसी व्यक्ति के अवैध तथा अनुचित कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगाने के कारण आपको राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य पद या लोकपाल पद से हटा दिया जाता है, जब आप किसी असंतुष्ट को पार्टी का गद्दार करार देते हैं और उसपर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाते हैं, जिन सिद्धांतों पर पार्टी की स्थापना हुई है उससे दूर जाने को लेकर सवाल उठाने पर आप पार्टी के सदस्यों में भय पैदा करते हैं, तो हमें स्टालिन के खौफ की याद आती है।"
उन्होंने कहा कि अलग विचार व्यक्त करने को आचार संहिता का उल्लंघन करार नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा, "केवल अलग विचार व्यक्त करने को आचार संहिता का उल्लंघन करार नहीं दिया जा सकता, जबतक कि वह पार्टी के उद्देश्यों का उल्लंघन न करता हो।"
आप के सचिव पंकज गुप्ता को भेजे जवाब में प्रशांत ने कहा, "खुद को राष्ट्रीय अनुशासन समिति का सदस्य दर्शाते हुए आपके, आशीष खेतान तथा दिनेश वाघेला द्वारा हमें नोटिस भेजा जाना वास्तव में उल्लेखनीय और व्यंग्यात्मक है। मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि किसने और कब राष्ट्रीय अनुशासन समिति का गठन किया है और यह किस प्रकार काम करती है।"
पार्टी की अनुशासन समिति द्वारा तीन दिन पहले योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, आनंद कुमार तथा अजीत झा को कारण बताओ नोटिस भेजा गया था।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय परिषद की 28 मार्च को हुई बैठक में प्रशांत व यादव को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर निकाल दिया गया था।