नई दिल्ली: राज्यसभा के उपसभापति पद के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार बी के हरिप्रसाद को ‘बिना मांगे समर्थन’ नहीं देने के आप के फैसले पर कांग्रेस और आप नेताओं के बीच जमकर तकरार हुई। राज्यसभा में आज उपसभापति पद के लिए हुए मतदान में आप के तीनों सदस्यों ने हिस्सा नहीं लिया। पार्टी सांसद ने कल ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आप संयोजक अरविंद केजरीवाल से हरिप्रसाद के लिए समर्थन मांगेगे तब ही वे उन्हें वोट देंगे।
उल्लेखनीय है कि इस चुनाव में राजद के उम्मीदवार हरिवंश ने कांग्रेस उम्मीदवार हरिप्रसाद को मिले 105 मतों के मुकाबले 125 मतों से जीत दर्ज की। उच्च सदन में संख्या बल के आधार पर विपक्षी दलों का पलड़ा भारी होने के बावजूद हरिप्रसाद की हार में छोटे दलों ने अहम भूमिका निभाई।
गांधी द्वारा केजरीवाल से समर्थन मांगने की शर्त पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा ‘‘राहुल गांधी को ऐसे व्यक्ति से समर्थन मांगने की क्या जरूरत जिसने अपनी मांग पूरी करने की शर्त पर 2019 में मोदी का समर्थन करने और चुनाव प्रचार करने की पहल की हो।’’ उल्लेखनीय है कि केजरीवाल ने हाल ही में कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पूरी होने पर वह अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के समर्थन में प्रचार कोंगे।
मुखर्जी ने ट्वीट कर कहा ‘‘आप कहती है कि राजनीति में अहंकार नहीं चलता है। यह बात बिल्कुल सही है और यही वजह है कि केजरीवाल ने भाजपा को समर्थन देने के लिए राज्यसभा में मतदान से खुद को दूर रखा।’’ मुखर्जी ने 2013 में आप सरकार के गठन में कांग्रेस के समर्थन का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि आप ने भारत के प्रधान न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव के मामले में भी भाजपा का समर्थन किया था।
इसके जवाब में केजरीवाल के सलाहकार नागेन्द्र शर्मा ने कहा ‘‘फिर कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं ने आप के एक वरिष्ठ नेता को कल गुपचुप तरीके से फोन कर समर्थन क्यों मांगा था।’’ शर्मा ने मुखर्जी से पूछा कि अगर वह चाहेंगी तो इन नेताओं के नाम भी उजागर किए जा सकते हैं।
आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि बिहार के जदयू अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केजरीवाल को फोन कर अपने प्रत्याशी के लिए समर्थन मांगा था, लेकिन भाजपा समर्थित जदयू प्रत्याशी को वोट देना संभव नहीं है। सिंह ने स्पष्ट किया कि राहुल गांधी को अपनी पार्टी के लिए वोट नहीं चाहिये, ऐसे में आप के पास मतदान का बहिष्कार करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है।