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चीफ जस्टिस के खिलाफ 7 पार्टियों ने दिया महाभियोग का नोटिस, विपक्ष में पड़ी फूट!

कांग्रेस के नेतृत्व में 7 विपक्षी दलों ने शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया...

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : April 20, 2018 15:33 IST
7 parties submit notice for CJI Dipak Misra's impeachment, opposition divided | PTI
7 parties submit notice for CJI Dipak Misra's impeachment, opposition divided | PTI

नई दिल्ली: कांग्रेस के नेतृत्व में 7 विपक्षी दलों ने शुक्रवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को महाभियोग का नोटिस दिया और कहा कि ‘संविधान और न्यायपालिका की रक्षा’ के लिए उनको ‘भारी मन से’ यह कदम उठाना पड़ा है। हालांकि, बिहार में पार्टी के साथ गठबंधन में शामिल लालू प्रसाद की राष्ट्रीय जनता दल और पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस उसके इस प्रस्ताव के साथ नहीं नजर आ रहे। दोनों दलों ने महाभियोग को लेकर हुई मीटिंग में भी हिस्सा नहीं लिया।

’71 सांसदों के हस्ताक्षर’

रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाभियोग प्रस्ताव पर कुल 71 सदस्यों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें 7 सदस्य रिटायर हो चुके हैं। महाभियोग के नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के सदस्य शामिल हैं। इन दलों ने जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ ‘गलत आचरण’ का आरोप लगाया और कहा कि इस कदम के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है और जज बीएच लोया मामले से भी इसका कोई संबंध नहीं है। 

कांग्रेस ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस
नायडू को महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सभापति से पिछले सप्ताह ही समय मांगा था लेकिन वह पूर्वोत्तर दौरे पर थे और समय नहीं मिल पाया। ऐसे में आज समय मिला जिसके बाद नायडू को यह नोटिस दिया गया। आजाद ने कहा, ‘महाभियोग प्रस्ताव के लिए 50 सदस्यों की जरूरत होती है। इस प्रस्ताव पर 7 पार्टियों के कुल 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं जिनमें से 7 का कार्यकाल पूरा हो रहा है।’

‘हमें भारी मन से ऐसा करना पड़ रहा है’
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा, ‘हम भी चाहते थे कि न्यायापालिका का मामला उसके भीतर सुलझ जाए लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हमें भारी मन से ऐसा करना पड़ रहा है क्योंकि संविधान और एक संस्था की स्वतंत्रता और स्वायत्तता का सवाल है।’  उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में चीफ जस्टिस के खिलाफ 5 आरोपों का उल्लेख किया गया है जिनके आधार पर विपक्षी दलों ने यह नोटिस दिया है। 

विपक्ष में फूट!
इससे पहले संसद भवन में विपक्षी दलों के नेताओं की इस मुद्दे पर बैठक हुई जिसमें कांग्रेस नेता आजाद, कपिल सिब्बल, रणदीप सुरजेवाला, भाकपा के डी. राजा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण ने हिस्सा लिया। सूत्रों के अनुसार, तृणमूल कांग्रेस और DMK पहले प्रधान न्यायाधीश के महाभियोग के पक्ष में थे, लेकिन बाद में इस मुहिम से अलग हो गए। 

नोटिस देने के लिए चाहिए होते हैं इतने सदस्यों के हस्ताक्षर
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा CBI के स्पेशल जज बी. एच. लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मृत्यु की जांच के लिए दायर याचिकायें खारिज किए जाने के अगले ही दिन महाभियोग का नोटिस दिया गया है। लोया सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे। शीर्ष अदालत की चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया था। महाभियोग का नोटिस देने के लिए राज्यसभा के कम से 50 सदस्यों जबकि लोकसभा में कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है।
(PTI इनपुट्स के साथ)

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