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2017: ओडिशा में BJP के लिए खुशखबरी लेकर आया यह साल, केंद्र-राज्य रिश्ते में रही खटास

राज्य में फरवरी में हुए पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) विजेता बनकर उभरा लेकिन...

Reported by: Bhasha
Published on: December 29, 2017 14:42 IST
Odisha CM Naveen Patnaik | PTI Photo- India TV Hindi
Odisha CM Naveen Patnaik | PTI Photo

भुवनेश्वर: ओडिशा में वर्ष 2017 में पूरे साल राजनीतिक सरगर्मी, केंद्र-राज्य संबंध, किसानों की आत्महत्या और महानदी जल विवाद जैसे मुद्दे छाये रहे। राज्य में फरवरी में हुए पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (BJD) विजेता बनकर उभरा लेकिन BJP ने भी वर्ष 2012 के पंचायत चुनावों की तुलना में इस बार अपने प्रदर्शन में जबरदस्त सुधार किया, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही। जिला परिषद चुनावों में भी BJP ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 30 जिला परिषदों में से 8 सीटों पर जीत दर्ज की।

ग्रामीण चुनावों के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गईं और नए साल में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर BJD एवं BJP के बीच आरोप प्रत्यारोप के दौर भी देखने को मिले, जबकि एकजुटता की कमी और आपसी मतभेदों के कारण कांग्रेस मुश्किल में दिखी। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा कि वर्ष 2019 में जीत सुनिश्चित करने के वास्ते BJD अपने प्रदर्शन की ‘बेहद गंभीरता’ से समीक्षा करेगी जबकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जैसे BJP नेताओं ने कहा कि ग्रामीण चुनावों के परिणाम केंद्र के सुशासन को लेकर बढ़ते समर्थन और राज्य सरकार के कुशासन के चलते जनता के बढ़ते अविश्वास को दर्शाते हैं।

अप्रैल में BJP ने भुवनेश्वर में अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं पार्टी प्रमुख अमित शाह समेत पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया। BJD सरकार ने कई कार्यक्रम शुरू किए और मुख्यमंत्री ने विभिन्न वर्गों के लिए कई कल्याण कार्यक्रमों को शुरू करने के अलावा नई परियोजनाओं का शिलान्यास एवं शुभारंभ किया। इस साल केंद्र एवं राज्य सरकार के बीच रिश्तों में खटास देखी गयी क्योंकि राज्य सरकार ने महानदी जल विवाद एवं पोलावरम परियोजना सहित कई मुद्दों पर राज्य के साथ पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। राज्य सरकार ने महानदी मुद्दे पर छत्तीसगढ़ का और पोलावरम मुद्दे पर आंध्र प्रदेश का पक्ष लेने का आरोप लगाया। 

पूरे साल BJD ने केंद्र पर राज्य के प्रति सौतेला रुख अपनाने और कई कल्याणकारी कार्यक्रमों के लिये कोष में कटौती करने का आरोप लगाया। पूरे साल राज्य में किसानों की आत्महत्या का मामला भी छाया रहा और विपक्षी BJP एवं कांग्रेस ने राज्य सरकार पर कर्ज के बोझ तले दबे, सूखा, कीटों के हमले और बेमौसम बारिश से प्रभावित किसानों की दुर्दशा सुधारने में नाकाम रहने का आरोप लगाया। राज्य सरकार ने दावा किया था कि किसानों ने अलग-अलग कारणों के चलते आत्महत्या की। राज्य के अन्य हिस्सों में स्थिति में सुधार के बावजूद अब भी राज्य के कई हिस्सों में माओवाद का खतरा बना हुआ है।

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