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Yasin Malik: कौन है यासीन मलिक? जिसने आतंकियों को दी पनाह, जवानों को मारने से लेकर गृहमंत्री की बेटी के अपहरण करने तक का है आरोप

Yasin Malik: 1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ से जुड़ने के कुछ दिनों बाद ही यासीन मलिक पाकिस्तान चला गया। यहां ट्रेनिंग लेने के बाद 1989 में वह वापस भारत आया।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Updated on: December 16, 2022 7:19 IST
Yasin Malik- India TV Hindi
Image Source : PTI Yasin Malik

Highlights

  • दोषी आतंकी यासीन मलिक की सजा पर फैसला आज
  • कश्मीर को आजाद कराने के नाम पर घाटी में फैलाई हिंसा
  • भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकवादी हमले का आरोप

Yasin Malik: टेरर फंडिंग मामले में दोषी आतंकी यासीन मलिक की सजा पर आज बुधवार को एनआईए कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। अदालत इस मामले में आज सजा सुना देगी। बता दें कि एनआईए ने कोर्ट से यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की है, लेकिन यहां आपको बता दें कि कश्मीर की आजादी की मांग करने वाला आतंक का सरगना यासीन मलिक कौन है?

यासीन मलिक 56 वर्ष का है। उसका जन्म 3 अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था। यासीन के पिता गुलाम कादिर मलिक एक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पढ़ाई श्रीनगर में ही हुई है। उसने श्री प्रताप कॉलेज से स्नातक की डिग्री ली है। 

घाटी में आतंकी घटनाओं को दिया अंजाम

यासीन मलिक ने एक इंटरव्यू में एक आम छात्र से लेकर प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (Jammu Kashmir Liberation Front) का मुखिया बनने तक की अपनी कहानी सुनाई थी। यासीन मलिक का कहना था कि उसने कश्मीर में सेना का जुल्म देखा था और उसी नफरत में उसने हथियार उठाने का फैसला किया। उसने 80 के दशक में 'ताला पार्टी ' का गठन किया था, जिसके चलते उसने घाटी में कई बार नफरत की आग सुलगाई और आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया। 

एक वाक्या 13 अक्टूबर 1983 का है। कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज का क्रिकेट मैच चल रहा था। लंच ब्रेक में अचानक 10-12 युवा लड़के बीच मैदान में पहुंचे और पिच खराब करने लगे। इस वारदात को ताला पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही अंजाम दिया था। 

पहली बार यासीन मलिक पकड़ा गया 

वहीं, 13 जुलाई 1985 को कश्मीर के ख्वाजा बाजार में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की रैली हो रही थी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग जुटे थे। इस बीच, रैली के दौरान 60-70 लड़के पहुंचे और भीड़ में ही पटाखा फोड़ दिया। उस वक्त सबको लगा कि बमबारी शुरू हो गई और चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया, तब पहली बार यासीन मलिक पकड़ा गया था। 

1986 में 'ताल पार्टी' का नाम बदला

यासीन मलिक ने साल 1986 में 'ताल पार्टी' का नाम बदलकर इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी आईएसएल कर दिया, जिसमें सिर्फ कश्मीर के युवाओं को शामिल किया गया, जिसका मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना था। इस पार्टी में अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी शामिल थे, जिन्होंने कश्मीर को आजाद कराने के नाम पर घाटी में सिर्फ हिंसा फैलाने का काम किया।

साल 1987 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यासीन मलिक के नेतृत्व में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग, मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट में शामिल हो गई थी। हालांकि, संविधान पर भरोसा नहीं रखने के चलते आईएसएल ने किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन उसने श्रीनगर के सभी निर्वाचन क्षेत्रों में एमयूएफ के लिए प्रचार करने की जिम्मेदारी उठाई। इसके बाद साल 1988 में यासीन मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) का एरिया कमांडर बन गया।

JKLF से जुड़ने के बाद ही पाकिस्तान चला गया

1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ से जुड़ने के कुछ दिनों बाद ही यासीन मलिक पाकिस्तान चला गया। यहां ट्रेनिंग लेने के बाद 1989 में वह वापस भारत आया। इसके बाद उसने गैर-मुसलमानों को मारना शुरू कर दिया। 8 दिसंबर 1989 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया। उस वक्त मुफ्ती मोहम्मद सईद दिल्ली में अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहे थे। इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था। कहा जाता था कि ये यासीन मलिक के इशारे पर ही हुआ। इसमें शामिल सारे आतंकवादी जेकेएलएफ से ही जुड़े थे। 

यासीन मलिक पर भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकवादी हमले करने का आरोप है, जिसमें स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मी मारे गए थे। वहीं, मलिक ने 1990 में कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से बेदखल करने में भी अहम भूमिक निभाई थी।

भारत विरोधी गतिविधियों में रहा शामलि

मलिक कई कट्टर पाकिस्तानी आतंकियों के कॉन्टैक्ट में रहते हुए भारत विरोधी गतिविधियों में शामलि रहा। बाद में वो जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का प्रमुख बन गया और साल 1994 में इसने JKLF को एक राजनीतिक दल के तौर पर पेश करने की कोशिश की। मलिक जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख मकबूल भट्ट को अपना आदर्श मानता आया है। 

अलगाववादी नेता मकबूल भट्ट की फांसी का किया था विरोध

बता दें कि अलगाववादी नेता मकबूल भट्ट को 11 फरवरी 1984 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। तब यासीन मलिक और उसकी ताला पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया था। जगह-जगह मकबूल भट्ट के समर्थन में पोस्टर लगाए थे। इसे लेकर यासीन मलिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और वह चार महीने तक जेल में रहा।

 पाकिस्तानी चित्रकार से 2009 में की थी शादी

यासीन मलिक ने 22 फरवरी 2009 को एक पाकिस्तानी चित्रकार मुशाल हुसैन मलिक से शादी की थी, जिससे उसे एक बेटी भी है, जिसका नाम रजिया सुल्तान है।

1980 के दशक से ही कश्मीर में हिंदुओं पर हमले होने लगे थे। इसमें यासीन मलिक और उसके साथियों का नाम आता था। बढ़ती हिंसात्मक घटनाओं को देखते हुए 7 मार्च 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जम्मू-कश्मीर की गुलाम मोहम्मद शेख सरकार को बर्खास्त कर दिया था। राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया।

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