Highlights
- तिहाड़ में यासीन मलिक ने की भूख हड़ताल
- गृह मंत्री की बेटी के अपहरण मामले में है आरोपी
- NIA की स्पेशल कोर्ट ने गत मई में सुनाई थी सजा
Yasin Malik: दिल्ली के तिहाड़ जेल में पिछले 5 दिन से कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक भूख हड़ताल कर रहे हैं। उनको ड्रिप के जरिए लिक्विड दिए जा रहे हैं। मलिक ने रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होने का अनुरोध किया था, लेकिन केंद्र सरकार से इस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने भूख हड़ताल शुरू कर दी। मलिक इस मामले में आरोपी है।
शुक्रवार को शुरू की भूख हड़ताल
प्रतिबंधित जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के 56 वर्षीय प्रमुख मलिक ने शुक्रवार को सुबह भूख हड़ताल शुरू की थी। एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया, "कड़ी सुरक्षा के बीच कारागार संख्या-7 में एक अलग कोठरी में रखा गया मलिक शुक्रवार की सुबह से कुछ नहीं खा रहा है। वह अब भी भूख हड़ताल पर है और चिकित्सक उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रख रहे हैं। उसे रविवार से ड्रिप के जरिए तरल पदार्थ दिए जा रहे हैं।"
अपहरण मामले में हैं आरोपी
बता दें कि तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के 8 दिसंबर 1989 को हुए अपहरण से जुड़े मामले में मलिक आरोपी हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सेंट्रल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) के स्पेशल जज के सामने पेश हुए मलिक ने कहा था कि वह रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहता है। मलिक ने कहा था कि 22 जुलाई तक अगर सरकार ने इस संबंध में अनुमति नहीं दी, तो वह भूख हड़ताल शुरू करेगा।
2019 में हुई थी गिरफ्तारी
गौरतलब है कि मलिक को इस साल मई में दिल्ली की एक कोर्ट ने आतंकवाद को फाइनेंस करने के मामले में दोषी ठहराया था। मलिक को विभिन्न अवधि की कारावास की सजा सुनाई गई थी और सभी सजाएं एक साथ चल रही हैं। नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) द्वारा 2017 में दर्ज आतंकवाद के फाइनेंस मामले में मलिक को 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था। NIA की स्पेशल कोर्ट ने गत मई में उसे सजा सुनाई थी। रुबैया सईद का कथित तौर पर JKLF के आतंकवादियों द्वारा अपहरण किया गया था। रुबैया को 5 दिन बाद 13 दिसंबर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया गया, लेकिन इसके बदले भाजपा द्वारा समर्थित तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को JKLF के 5 आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था।