World Ocean Day 2023: आपने बचपन में एक बात अवश्य सुनी होगी कि धरती का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है। इस 70 प्रतिशत हिस्सा में सबसे ज्यादा भागीदारी समुद्र की है। मानव जीवन की संरचना में समुद्रों का बहुत बड़ा योगदान है। समुद्र जब तक शांत रहते हैं तब तक बड़े ही खुबसूरत प्रतीत होते हैं लेकिन जब वह अपना विकराल रूप धारण करते हैं तो यही हमारी तबाही का कराना बन जाते हैं। आज के कथित आधुनिक समय में इंसान समुद्रों को नजरंदाज कर रहा है लेकिन समय-समय पर समुद्र हमें यह एहसास दिला देता है कि वह समुद्र है और धरती के आधे से ज्यादा हिस्से पर उसकी मौजूदगी है।
साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने की घोषणा
आज 8 जून को दुनियाभर में विश्व समुद्र दिवस मनाया जा रहा है। साल 1992 में Earth Summit की बैठक के दौरान ओसियन इंस्टिट्यूट ऑफ कनाडा और इंटरनेशनल सेंटर ऑफ ओसियन डेवलपमेंट द्वारा इस दिवस का प्रस्ताव रखा गया था। साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र ने वर्ल्ड ओसियन डे की घोषणा की। हम इंसान बड़ी तेजी से जल को प्रदूषित कर रहे हैं, हम भूल जाते हैं कि बिना जल के जीवन नहीं है। जल की अहमियत को देखते हुए हर साल 8 जून को वर्ल्ड ओसियन डे मनाया जाता है।
क्या है वर्ल्ड ओसियन डे 2023 की थीम?
इस साल वर्ल्ड ओसियन डे की थीम 'Planet Ocean Tides Are Changing' निर्धारित की गई है। इस थीम के ज़रिए समुंदर को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि विकास के लिए समुंदर बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता है। संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल का कहना है कि "जैसा कि हम महामारी को समाप्त करने और बेहतर निर्माण के लिए काम करते जा रहे हैं वैसे ही हमारे पास समुंद्र, प्राकृतिक दुनिया के साथ आगे की जनरेशन की ज़िम्मेदारी भी है।"
हम ही हैं समुद्रों के सबसे बड़े दुश्मन
आज समुद्रों को सबसे ज्यादा नुकसान हमारे द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला प्लास्टिक है। यह प्लास्टिक एक छोटी सी पोलीथिन से लेकर बड़े से बड़े कंटेनर के रूप में समुद्रों का गला हर रोज घोंट रहे हैं। हम जिस पोलीथिन का इस्तेमाल करके ऐसे ही फेक देते हैं, वह पोलीथिन समुद्र में रहने वाली मछलियों समेत कई अन्य जीव-जंतुओं की मौत का कारण बनती हैं। इसके साथ ही हमारी आधुनिकता और भौतिकवाद भी समुद्रों बर्बाद कर रहा है।