Highlights
- पुल को 100 किमी प्रति घंटे तक की हवा का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है
- 'गोल्डन जॉइंट' परियोजना पर काम कर रहे इंजीनियरों ने ये नाम दिया
- यह पेरिस के एफिल टॉवर से 30 मीटर ऊंचा है
75 years of independence: देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है। भारत के हर कोने से दिल को छूने वाली तस्वीर देखने को मिल रही है। इसी बीच एक तस्वीर कश्मीर से मिली। जहां हमारे देश के इंजीनियर चिनाब नदी पर दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल काम लगभग पूरा कर चुके हैं। शनिवार के दिन इस पुल को दोनों डेक जोड़ दिया गया है। जिसे 'गोल्डेन ज्वाइंट' नाम दिया गया है। इस पुल को 1,250 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है। 1.3 किलोमीटर लंबा पुल चिनाब नदी के ऊपर 359 मीटर स्थित है। यह पेरिस के एफिल टॉवर से 30 मीटर ऊंचा है।
पुल के ऊपर 'भारत माता की जय'
इस पुल के बनने के बाद हम कश्मीर सालों भर रेल के माध्यम से जा सकेंगे। वर्तमान में कश्मीर ने जम्मू प्रांत के रामबन जिला बनिहाल क्षेत्र से घाटी में बारामूला के बीच केवल रेलवे लाइन को काट दिया है। वही अधिकारियों ने बताया कि गोल्डन ज्वाइंट के पूरा होने के साथ ही चिनाब पर रेलवे पुल का काम लगभग पूरा हो गया है।
इसी अवसर पर शनिवार को पटाखे फोड़ने के साथ जश्न मनाया गया। कोंकण रेलवे के कर्मचारियों ने पुल के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज लहराया और राष्ट्रगान से पुरी घाटी राष्ट्रमय हो गया है। पुल के बीचों-बीच 'भारत माता की जय' का नारा लगाया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह एक ऐतिहासिक क्षण है।" उन्होंने आग बताया कि 'गोल्डन जॉइंट' काम पुर होने के साथ लंबी यात्रा को खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि 'गोल्डन जॉइंट' शब्द सिविल इंजीनियरों ने नाम दिया था, जिन्होंने पुल के डेक के दोनों सिरों को जोड़ने का काम किया है।
'गोल्डेन जॉइंट' से सोना का लेना देना नहीं
वहीं कोंकण रेलवे के अध्यक्ष और एमडी संजय गुप्ता ने कहा कि “यह एक लंबी यात्रा रही है। 'गोल्डन जॉइंट' परियोजना पर काम कर रहे इंजीनियरों ने ये नाम दिया, इसका सोने से कोई लेना-देना नहीं है। इस पुल की सबसे महत्वपूर्ण जोड़ है क्योंकि यह जोड़ न केवल डेक के दोनों किनारों को जोड़ता है बल्कि गुणवत्ता और सटीकता को भी दर्शाता है। उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेलवे के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी सुरिंदर माही ने कहा कि संयुक्त के पूरा होने के साथ पुल के बक्कल और कौरी पक्ष एक-दूसरे से जुड़ गए हैं। उनके संपर्क से एक नया अध्याय खुल रहा है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना केंद्र शासित प्रदेश के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में गेम चेंजर साबित होगी। चिनाब ब्रिज को कई चुनौतियों से पार पाया है। भूविज्ञान, कठोर भूभाग और प्रतिकूल वातावरण कुछ ऐसी चुनौतियां थीं जिन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए इंजीनियरों और रेलवे अधिकारियों ने अपना सौ प्रतिशत दिया।
भूकंप रोधी है ये पुल
इस पुल का निर्माण मुंबई के एफकॉन्स के द्वारा बनाया गया है। ये दुनिया का सबसे ऊंचा सिंगल-आर्च रेलवे ब्रिज आधुनिक इंजीनियरिंग में एक अनूठा उदाहरण है। यह उत्तर रेलवे द्वारा की गई महत्वाकांक्षी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना का हिस्सा है। यूएसबीआरएल पुरी लागत 28,000 करोड़ रुपये है। 467 मीटर के मुख्य मेहराब वाले पुल और लगभग 28,660 मीट्रिक टन के स्टील फैब्रिकेशन वाले पुल को 100 किमी प्रति घंटे तक की हवा का सामना करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी अन्य विशेषताओं में भारत में पहली बार निरीक्षण और रखरखाव के लिए कंक्रीट से भरे ट्रस और बिजली से चलने वाली कारों का उपयोग शामिल है। इसे जोन V के भूकंप बलों को सहन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। आपको बता दें कि रेल मंत्रालय ने उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला से परियोजना को चरणों में मंजूरी दी थी, जिसमें 1995 में उधमपुर से कटरा (25 किमी) एरिया शामिल है। 1999 में काजीगुंड से बारामूला (118 किमी) और 1999 में कटरा से काजीगुंड (129 किमी) तक है। इसे 2002 में राष्ट्रीय परियोजना के रूप में घोषित किया गया था।