केंद्र सरकार भारतीयों की आस्था के केंद्र रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर सकती है। इस संबंध में याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। इसमें केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी अपनी बात रखी। रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में मान्यता देने की मांग वाली सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस मामले में केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा है कि रामसेतु के राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की प्रक्रिया चल रही है। वहीं सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में बताया कि इसे लेकर संस्कृति मंत्रालय ने बैठक भी की थी। तत्कालीन मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस मुद्दे पर चर्चा भी की थी। फिर बाद में उन्हें दूसरे मंत्रालय का चार्ज दे दिया गया।
वहीं भारत के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं और जस्टिस पारदीवाला एक कोरम में आदेश पारित करेंगे। वहीं न्यायमूर्ति नरसिंहा का कहना है कि वे सेतु समुद्रम परियोजना मामले में तमिलनाडु का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। इस वजह से वे इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते।
कोर्ट में याचिका पर सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि वे मामले से जुड़े अतिरिक्त साक्ष्य मंत्रालय में दे सकते हैं। स्वामी ने कहा था कि वे मंत्रालय को पहले भी कई पत्र भेज चुके हैं। लेकिन उन्हें किसी का जवाब नहीं मिला है। दरअसल, सुब्रमण्यम स्वामी ने रामसेतु को ऐतिहासिक स्मारक के रूप में मान्यता देने के लिए एक याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि राम सेतु लाखों हिंदुओं की आस्था से जुड़ा हुआ है। साथ ही उन्होंने राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की भी मांग की थी।
स्वामी का कहना है कि कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक दिसंबर तक हलफनामा दाखिल कर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हलफनामा तैयार किया जा रहा है। फरवरी के पहले हफ्ते तक इसे पूरा कर लिया जाएगा।