दिल्ली। केंद्र विवादास्पद संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सुरक्षा एजेंसियां पीएफआई और भारत के कुछ हिस्सों में हाल ही में हुए सांप्रदायिक तनाव के बीच कथित संबंधों की जांच पर नजर रख रही हैं।
गृह मंत्रालय के पास NIA और IB द्वारा मुहैया कराए सबूतों का डॉजियर, कई राज्यों ने PFI की गतिविधियों के बारे में पुलिस रिपोर्ट भी गृह मंत्रालय को भेजी थी। रिपोर्ट के अनुसार उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों ने भी इस आशय का एलर्ट भेजा था। गृह मंत्रालय के पास मिली खबर के अनुसार SIMI के एजेंडा को आगे बढ़ाने का PFI पर आरोप है। रेडिकल गतिविधियों का पुख्ता सबूत गृह मंत्रालय के पास मौजूद हैं। इसमें मुसलमानों में कट्टरता फैलाकर विध्वंसक गतिविधियों में शामिल कराने का आरोप लगाया गया है।
यूपी में CAA प्रोटेस्ट के मामले में भी बताई जा रही PFI की भूमिका
भारत में इस्लामीकरण का एजेंडा चलाने वाली SIMI पर प्रतिबंध लगने के बाद PFI के बैनर के तले कट्टर इस्लामी एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप है। उत्तरप्रदेश में CAA प्रोटेस्ट में PFI की भूमिका बताई गई। हाथरस मामले में सिद्दीकी कप्पन भी PFI से संबंधित और हुजी और IS से भी PFI का संपर्क की बात सामने आई।
यही नहीं, कर्नाटक में हिजाब प्रकरण में भी PFI की भूमिका और CAA प्रोटेस्ट के समय दिल्ली हिंसा में भी PFI की सक्रियता की बात सामने आई। राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी NIA ने केरल में PFI के लोगों के ISIS संपर्क की रिपोर्ट दी थी। यही नहीं, श्रीलंका ब्लास्ट में भी PFI का जिक्र आया था। राजनीतिक हत्याओं, धर्म परिवर्तन के मामलों में भी PFI की भूमिका सामने नजर आती रही है।
2017 में केरल पुलिस ने लव जिहाद के मामले सौंपे थे, जिसमें PFI की भूमिका सामने आई थी। वहीं 2016 में कर्नाटक में आरएसएस नेता रूद्रेश की हत्या में PFI का नाम आया था। देश के 23 राज्यों में PFI नेटवर्क है।