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'पत्नी का बार-बार ससुराल छोड़कर जाना पति पर क्रूरता', हाईकोर्ट ने मंजूर किया तलाक

दंपती की शादी 1992 में हुई थी और फैमिली कोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार कर दिया था। महिला के पति ने तलाक का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी का गुस्सैल और अशांत स्वभाव है तथा वह कम से कम सात बार उसे छोड़कर चली गई।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: April 05, 2024 22:21 IST
divorce- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO तलाक

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि पति की किसी गलती के बिना पत्नी का बार-बार अपने ससुराल का घर छोड़कर चले जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वैवाहिक संबंध परस्पर समर्थन, समर्पण और निष्ठा के माहौल में फलता-फूलता है तथा दूरी और परित्याग इस जुड़ाव को तोड़ता है। कोर्ट की यह टिप्पणी एक-दूसरे से अलग रह रहे एक दंपति को पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक प्रदान करते हुए आई।

7 बार घर छोड़कर चली गई पत्नी

दरअसल, दंपती की शादी 1992 में हुई थी और फैमिली कोर्ट ने पति को तलाक देने से इनकार कर दिया था। महिला के पति ने तलाक का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी का गुस्सैल और अशांत स्वभाव है तथा वह कम से कम सात बार उसे छोड़कर चली गई। तलाक प्रदान करने से एक फैमिली कोर्ट के इनकार करने को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार करते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि सात बार महिला अपने पति से अलग हुई और प्रत्येक की अवधि तीन से 10 महीने की थी। पीठ में जस्टिस नीना बंसल कृष्णा भी शामिल हैं।

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

हाईकोर्ट ने कहा कि लंबे समय तक अलग-अलग रहने से वैवाहिक संबंध को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है, जो मानसिक क्रूरता है और वैवाहिक संबंधों से वंचित करना अत्यधिक क्रूरता का कृत्य है। कोर्ट ने कहा, ‘‘यह एक स्पष्ट मामला है जहां प्रतिवादी (पत्नी) ने समय-समय पर, अपीलकर्ता की किसी गलती के बिना, ससुराल का घर छोड़ दिया। समय-समय पर प्रतिवादी का इस तरह से जाना मानसिक क्रूरता का कृत्य है, जिसका अपीलकर्ता (पति) को अकारण या बिना किसी औचित्य के सामना करना पड़ा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यह अपीलकर्ता को मानसिक वेदना का मामला है जिससे वह तलाक पाने का हकदार है।’’ (भाषा)

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