Highlights
- 1911 में राजपथ को किंग्सवे के नाम से जाना जाता था
- पूर्व पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1955 में इसे राजपथ नाम दिया
- अंग्रेजों ने जार्ज पंचम के सम्मान में राजपथ बनाया और इसका नाम किंग्सवे रखा था
India gate-Rajpath now Kartavyapath: राजपथ का इतिहास दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी बनने से जुड़ा है। वर्ष 1911 में जार्ज पंचम दिल्ली दरबार आए थे। इसी दौरान भारत की राष्ट्रीय राजधानी को कोलकाता से बदलकर दिल्ली किया गया। जार्ज पंचम इसी पथ से होकर दिल्ली दरबार पहुंचे थे। उन्हीं के सम्मान में इसका किंग्सवे किया गया। बाद में देश को आजादी मिलने के बाद वर्ष 1955 में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया। जो कि अंग्रेजी का हिंदू स्वरूप कहा जा सकता है। इसीलिए मोदी सरकार राजपथ के नाम को भी गुलामी का प्रतीक मानती रही थी। फलस्वरूप अब इसका नाम राजपथ से बदलकर कर्तव्यपथ करने का फैसला लिया गया है।
पीएम मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से कहा था कि अब देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है तो हमें गुलामी के प्रतीकों से भी हमेशा के लिए आजाद होने की जरूरत है। गत दो सितंबर को भारतीय नौ सेना का झंडा भी इसीलिए बदला गया। नेवी के झंडे में भी गुलामी का चिह्न छिपा था। इसलिए पीएम मोदी ने इस झंडे को बदलकर हमेशा के लिए उस गुलामी के प्रतीक को इतिहास बना दिया। अब राजपथ को कर्तव्यपथ करने का ऐलान करके भी गुलामी के ऐसे ही एक अन्य प्रतीक को हटाने का प्रशंसनीय कार्य किया जा रहा है।
111 वर्ष से अधिक पुराना है राजपथ का इतिहास
राजपथ का निर्माण कब हुआ, इस बारे में कोई सटीक तिथि तो नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1911 के दौरान या उससे एक दो वर्ष पहले ही राजपथ का निर्माण हो चुका था। इसका प्रमाण यह है कि वर्ष 1911 में जब जार्ज पंचम दिल्ली दरबार आए थे तो यह पथ निर्मित था और वह इसी पथ से होकर गुजरे थे। इसका नाम किंग्सवे रखने का अर्थ राजाओं का पथ था। यानि कि जिस रास्ते से राजा गुजरते हों। इस पथ से पहले अन्य किसी को आने-जाने की मनाही थी। बाद में इसीलिए पंडित नेहरू ने इसका हिंदी नाम राजपथ किया था। जो कि अंग्रेजों द्वारा रखे गए नाम का ही प्रतिबिंब था। अब करीब 111 वर्ष राजपथ को हो चुके हैं।
67 वर्ष बाद बदला राजपथ का नाम
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किंग्सवे को राजपथ बनाने की घोषणा वर्ष 1955 में की थी। इस हिसाब से अब करीब 67 वर्ष हो चुके हैं, जब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्यपथ किया जा रहा है। राजपथ अब तक देश के करीब 70 गणतंत्र दिवस परेड मनाने का भी गवाह रहा है। प्रति वर्ष 26 जनवरी को इसी कर्तव्यपथ पर गणतंत्र दिवस की भव्य परेड का आयोजन होता आ रहा है।
राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक जाता है कर्तव्यपथ
जिस राजपथ का नाम अब पीएम मोदी के निर्देश पर बदलकर कर्तव्यपथ किया जा रहा है, उसकी दूरी करीब तीन किलोमीटर है। यह राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट पर बने अमर जवान ज्योति तक जाता है। पहले यह रास्ता पतला था, लेकिन आजादी के बाद दोनों तरफ राजपथ को छह-छह फीट चौड़ा कर दिया गया। यानि दोनों तरफ मिलकर रास्ता पहले से 12 फीट अधिक चौड़ा हो गया। इस पथ पर सभी आमजन भी आवागमन करते हैं। इंडिया गेट व अमरजवान ज्योति का निर्माण वर्ष 1931 में जब किया गया तो निर्माण सामग्री इसी राजपथ से होकर जाती थी।