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Bihar Floods: पूर्व प्रधानमंत्री नेहरु ने कहा था कि बिहार में नहीं आयेगी अब बाढ़, आखिर हर साल क्यों लोगों को छोड़ना पड़ता है अपना घर

Bihar Floods: बिहार और बाढ़ का पुराना रिश्ता रहा है। हर साल की तरह बिहार में बाढ़ आती है। अब फिर से नेपाल में लगातार बारिश के वजह से बिहार की नदियां उफान पर है। सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, बाढ़ को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। जिले में एसडीआरएफ की टीम में आ गई है।

Written By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Aug 03, 2022 17:33 IST, Updated : Aug 03, 2022 19:55 IST
Bihar Floods
Image Source : PTI Bihar Floods

Highlights

  • हर साल बिहार के 68 हजार 800 वर्ग किलोमीटर का एरिया बाढ़ से प्रभावित हो जाता है
  • तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1953 में कोसी परियोजना का शिलान्यास किया था
  • बाढ़ के नाम पर हजारों करोड़ रुपए के पैकेज आते हैं

Bihar Floods: बिहार और बाढ़ का पुराना रिश्ता रहा है। हर साल की तरह बिहार में बाढ़ आती है। अब फिर से नेपाल में लगातार बारिश के वजह से बिहार की नदियां उफान पर है। सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, बाढ़ को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। जिले में एसडीआरएफ की टीम में आ गई है। बूढ़ी गंडक, महानंदा, कोसी, बागमती सरयू का जलस्तर खतरे का निशान पर चुका है। जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने बताया कि जिला मुख्यालय से लेकर गांव तक सभी अधिकारी और इंजीनियर एक्टिव है। सभी को निर्देश दे दिया गया है कि अगर कहीं पर भी परिस्थिति खराब दिखती है तो तुरंत राहत बचाव का कार्य शुरू करें। वहीं मौसम विभाग ने भारी बारिश के आसार बताया है। आज हम जानेंगे कि बिहार में हर साल बाढ़ क्यों आता है और अब तक सरकार ने क्या किया?

हर साल बाढ़ क्यों आती है?

हर साल बिहार में बाढ़ आने का मुख्य कारण नेपाल को माना जाता है। नेपाल एक पहाड़ी देश है और बिहार एक समतल इलाका वाला प्रदेश है। नेपाल से बिहार के लगभग सात जिले लगते हैं। किशनगंज, अररिया, मधुबनी, पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सुपौल और सीतामढ़ी सभी जिलों का बॉर्डर नेपाल से लगता है। जब नेपाल में भारी बारिश होती है तो बारिश का सारा पानी नेपाल से आने वाली नदियों के रास्ते कोसी में प्रवेश कर जाती है। जिसके कारण बिहार में कोशी का जलस्तर उफ्फान पर हो जाता है। जल संसाधन विभाग के मुताबिक, हर साल बिहार के 68 हजार 800 वर्ग किलोमीटर का एरिया बाढ़ से प्रभावित हो जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार नेपाल में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई की गई। जिसके कारण पानी में कोई रुकावट नहीं आई। नदियों के बहाव को कम करने के लिए बिहार कई जगहों पर तटबंध बनाए गए लेकिन नदियों के विकराल रूप के सामने तटबंध में पानी में बह जाते। बिहार में फरक्का बांध को बाढ़ का कारण माना जाता है। नदियों में गाद भी जमना एक अहम कारण है। इन गादो की वजह से नदियों के बहाव में रुकावट आती है जिसके वजह से नदिया अपनी रास्ते बदल लेती है।

अब तक सरकारों ने क्या किया है?

बिहार में बाढ़ की त्रासदी रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1953 में कोसी परियोजना का शिलान्यास किया था। उन्होंने कहा था कि अगले 15 सालों में बिहार से बाढ़ की समस्या खत्म हो जाएगी। हालांकि आज भी स्थिति जस की तस बनी है। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि उत्तरी बिहार के लिए बाढ़ एक आपदा नहीं अधिकारियों के लिए अवसर माना जाता है। बाढ़ के नाम पर हजारों करोड़ रुपए के पैकेज आते हैं लेकिन यह पैकेज अधिकारियों के पॉकेट में चले जाते हैं। नदियों पर बनाया गया तटबंध हर साल पानी में बह जाता है। के व्यवहार में पहले से काफी परिवर्तन आ गया है। 2008 की बाढ़ त्रासदी में तकरीबन 40 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई थी। इसके बावजूद भी बिहार में बाढ़ को लेकर कोई अब तक ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।

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