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9 जनवरी को ही क्यों मनाते हैं प्रवासी भारतीय दिवस, जानें इसके पीछे का इतिहास

मालवा की धरती पर प्रवासी भारतीयों के बीच देश की तरक्की पर मंथन का आज दूसरा दिन है। इंदौर में तीन दिनों तक चलने वाले प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का रविवार को आगाज हुआ था और इस खास दिन को सेलिब्रेट करने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इंदौर पहुंचेंगे।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Updated on: January 09, 2023 12:50 IST
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Image Source : TWITTER प्रवासी भारतीय दिवस

नई दिल्ली: देश के विकास में भारतवंशियों के योगदान पर गौरवान्वित होने के लिए हर साल 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। इस बार 17वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन 9 जनवरी को मध्य प्रदेश के इंदौर में हो रहा है। मालवा की धरती पर प्रवासी भारतीयों के बीच देश की तरक्की पर मंथन का आज दूसरा दिन है। इंदौर में तीन दिनों तक चलने वाले प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का रविवार को आगाज हुआ था और इस खास दिन को सेलिब्रेट करने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इंदौर पहुंचेंगे।

बता दें कि 17वें प्रवासी भारतीय दिवस की थीम “प्रवासी: अमृत काल में भारत की प्रगति में विश्वसनीय भागीदार” है और दुनियाभर से आए प्रवासी भारत की प्रगति के भागीदार बन रहे हैं। देश में सबसे पहले भले ही 2003 में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया गया लेकिन इसके लिए तारीख 9 जनवरी रखी गई। आइए जानते हैं आखिर 9 जनवरी की तारीख ही क्यों चुनी गई-

जानिए, 9 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस

बता दें कि इस खास दिन का कनेक्शन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से रहा है। 9 जनवरी, 1915 को महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से स्वदेश वापस आए थे इसलिए 9 जनवरी की तारीख को प्रवासी भारतीय दिवस मनाने के लिए चुना गया। पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस मनाने का फैसला एलएम सिंघवी की अध्यक्षता में भारत सरकार द्वारा स्थापित भारतीय डायस्पोरा पर उच्चस्तरीय समिति की सिफारिशों के अनुसार लिया गया था। 8 जनवरी 2002 को भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 9 जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस को व्यापक स्तर पर मनाने की घोषणा की।

क्या है प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन मनाने का उद्देश्य?
- प्रवासी भारतीय समुदाय की उपलब्धियों को दुनिया के सामने लाना है, जिससे दुनिया को उनकी ताकत का अहसास हो सके।
- देश के विकास में भारतवंशियों का योगदान अविस्मरणीय है इसलिए साल 2015 के बाद से हर दो साल में एक बार प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन आयोजित किया जाता है।
- प्रवासी भारतीयों को देश से जोड़ने में पीएम मोदी ने भी अहम भूमिका निभाई है। वो जहां भी विदेशी दौरे पर जाते हैं वहां प्रवासी भारतीयों के बीच भारत की एक अलग पहचान लेकर जाते हैं।
- पीएम मोदी के इस कदम से प्रवासी भारतीय भारत की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं।
- इस आयोजन ने प्रवासी भारतीयों की भारत के प्रति सोच को सही मायनों में बदलने का काम किया है।
- इसके जरिए प्रवासी भारतीयों को देशवासियों से जुड़ने का एक अवसर मिला है।

दुनिया भर में फैला है प्रवासी भारतीयों का नेटवर्क
प्रवासी भारतीयों का नेटवर्क दुनिया भर में फैला है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रवासी भारतीयों की संख्या है। 2019 में दुनियाभर में इनकी संख्या 1.8 करोड़ थी। प्रवासियों की संख्या में दूसरे पायदान पर मैक्सिको और तीसरे नम्बर पर चीन है। प्रवासी भारतीय दिवस के माध्यम से दुनिया भर में फैले प्रवासी भारतीयों का बड़ा नेटवर्क बनाने में भी मदद मिली है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को भी एक गति मिली है। हमारे देश की युवा पीढ़ी को भी जहां इसके माध्यम से विदेशों में बसे प्रवासियों से जुड़ने में मदद मिलती है वहीं विदेशों में रह रहे प्रवासियों के माध्यम से देश में निवेश के अवसरों को बढ़ाने में सहयोग मिल रहा है।

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