Highlights
- पीयूष गोयल ने किया विपक्ष पर पलटवार
- 11 अगस्त को विपक्ष ने बहुत खराब व्यव्हार किया- पीयूष गोयल
- चेयर का क्या होता अगर सुरक्षा घेरा टूटता- पीयूष गोयल
नई दिल्ली. राज्यसभा में विपक्ष के सांसदों को सस्पेंड किए जाने के बाद जमकर हंगामा हो रहा है। कांग्रेस और विपक्ष जमकर भाजपा सरकार का हमलावर हैं, वहीं दूसरी तरफ भाजपा की तरफ से भी कांग्रेस पर पलटवार किया जा रहा है। भाजपा के नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने विपक्ष के 12 सांसदों के खिलाफ लिए गए एक्शन को सही ठहराते हुए कहा कि 11 अगस्त को विपक्ष ने बहुत खराब व्यव्हार किया था, कोई सदस्य महिला मार्शल पर हमला कर रहे थे, एक सदस्य एक पुरुष मार्शल के गले को दबाने का प्रयास कर रहे थे। मुझे तो चिंता थी कि चेयर का क्या होता अगर सुरक्षा घेरा टूटता।
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, "आज सुबह जिस प्रकार से हमारे विपक्ष के साथियों ने चेयर के ऊपर एक प्रकार से आरोप लगाने का प्रयास किया कि नियमों के तहत 12 सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है, जिस प्रकार से लीडर ऑफ अपोजिशन ने सिर्फ चेयर की ही नहीं बल्कि सदन की गरिमा को कम किया। क्योंकि निर्णय तो सदन का था कि 12 सांसदों को निलंबित करना चाहिए। यह निर्णय भी एक प्रकार से 20-21 दिन तक रोज की घटनाओं को देखते हुए लिया गया है। लीडर ऑफ अपोजिशन ने आज कोई खेद व्यक्त नहीं किया। विपक्ष की तरफ से कोई बयान भी नहीं दिया गया कि इस प्रकार के बयान से दुखी हैं कि किस प्रकार का व्यव्हार सदन में हुआ। उल्टे जब हम बाहर जाते हैं तो देखने को मिलता है कि विपक्ष के कुछ नेता किस तरह से बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं, चेयर के ऊपर और सदन के ऊपर, मुझे लगता है कि जरूरी है कि रिकॉर्ड पर रहे कि किस प्रकार से यह विषय पूरी तरीके से जरूरी था और एक प्रकार से बहुत सारी बातों को नजरंदाज करते करते 11 अगस्त की घटनाओं पर आने के बाद क्यों कार्रवाई करना आवश्यक था।"
पीयूष गोयल ने आगे कहा, "जब माननीय प्रधानमंत्री जी ने अपने कैबिनेट के नए सहयोगियों को परिचित कराने का प्रयास किया तब किस प्रकार से विपक्ष के सदस्यों ने परिचय तक नहीं कराने दिया गया, शायद ही सदन के इतिहास में कभी पहले देखा गया होगा। सदन की परंपरा ये है कि जबतक मंत्री परिचित न हो तबतक वह सदन की कार्रवाई में भाग नहीं ले सकता। बहुत पीड़ा के साथ माननीय प्रधानमंत्री जी अपने मंत्रियों का परिचय नहीं कर सके और मजबूर होकर परिचय को टेबल करना पड़ा।"
उन्होंने आगे कहा, "2 दिन बाद जब माननीय मंत्री अश्विनी वैष्णव अपना बयान दे रहे थे ऐसे विषय़ पर जिसे विपक्ष ने ही उठाया था जवाब जानने के लिए तो पूरे देश ने देखा कि किस तरह का घिनौना बर्ताव मंत्री जी के साथ किया गया और उनके हाथ से पेपर तक छीन लिए गए। और उनके सामने अड़चन डालने की हर संभव कोशिश की गई कि वो बयान न दे पाएं, उस समय तो कुछ माननीय सदस्य तो हमारे ओर आकर लगभग अटैक करने की मुद्रा में दिखे। यह सिलसिला समय समय पर पूरे देश ने देखा और पूरे सदन की गरिमा को पूरे तरीके से ध्वस्त करने का प्रयास विपक्ष ने मानसून सत्र में किया।"
मंत्री ने कहा कि एक सदस्य ने तो चेयर के ऊपर ही हमला कर दिया और उस समय उन्हें एक दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया। उस दिन दरवाजे बंद होने के बावजूद शीशा तोड़ दिया गया, स्टाफ को चोट पहुंची। कई सदस्यों में आक्रोश था कि इसपर एक्शन लिया जाए लेकिन संयम बरता गया। कई बार कई सदस्य कहते हैं कि हम इसलिए निलंबित कर रहे हैं कि सरकार के पास सदन में बहुमत नहीं है, सभी विपक्ष के सदस्यों को मैं आमंत्रित करता हूं, जिस विषय पर आप चाहें डिविजन मांगे, डिविजन करके आप देख लें, सबको पता चल जाएगा किसके साथ बहुमत है। सच्चाई के साथ सदन खड़ा है।
उन्होंने कहा का, "एक सदस्य एलईडी स्क्रीन तोड़ने की कोशिश कर रहा था, दो सदस्य यहां पर एक सदस्य दूसरे सदस्य के गले में पट्टा बांधकर यहां घूम रहे थे, यहां पर ऐसा प्रदर्शन करना इस उच्च सदन करना, क्या गरिमा रहेगी सदन की। 4-5 सदस्यों ने पेपर और फाइल फाड़कर चेयर पर फेंकने का प्रयास किया। कोई 2 सदस्य वीडियो रिकॉर्डिंग ले रहे थे और बाहर जाकर यूट्यूब पर दिखा रहे थे। हमने मांग की कि इस पूरे मामले की कमेटी बनाई जाए, वह तय कर सकती थी कि किसपर एक्शन लेना, लेकिन चेयर के हर प्रयास के बावजूद कई विपक्ष के दलों ने मना कर दिया कि हम कमेटी का हिस्सा नहीं बनेंगे। 11 अगस्त अंतिम तारीख थी मानसून सत्र की तो स्वाभाविक था कि कल पहला दिन था हाउस का, हाउस हमेशा चलने वाला संस्थान है।"