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जापानी पीएम की भारत यात्रा क्यों अहम, इन 5 कारणों से समझिए

जापान के पीएम फुमियो किशिदा भारत की यात्रा पर शनिवार को आए। शिंजो आबे के समय से भारत और जापान के सुदढ़ संबंधों जो प्रगति हुई है, उसे किशिदा और आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।  जानिए 5 ऐसे कारण कि फुमियो किशिदा की भारत यात्रा क्यों अहम है।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published : March 20, 2022 12:31 IST
Japan PM Kishida with PM Modi
Image Source : PTI FILE PHOTO Japan PM Kishida with PM Modi

जापान के पीएम फुमियो किशिदा भारत की यात्रा पर शनिवार को आए। शिंजो आबे के समय से भारत और जापान के सुदढ़ संबंधों जो प्रगति हुई है, उसे किशिदा और आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। पीएम मोदी के साथ उनकी बैठक कई मायनों में अहम रही। किशिदा खुद भारत से अच्छे संबंधों को और प्रगाढ़ करने के हिमायती रहे हैं। जानिए 5 ऐसे कारण कि फुमियो किशिदा की भारत यात्रा क्यों अहम है।

1. हिरोशिमा के मूल निवासी फुमियो किशिदा ने 4 अक्टूबर, 2021 को जापान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वह हिरोशिमा से सांसद भी रह चुके हैं. वह पहले जापान के विदेश मंत्री थे. उस क्षमता में किशिदा 4 बार पीएम मोदी से मिल चुके हैं। उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की नीति अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी पीएम मोदी से मुलाकात की।. जब वह विदेश मंत्री थे तब भी उन्होंने भारत का दौरा किया था।

जापान के पीएम फुमियो किशिदा भारत की यात्रा पर शनिवार को आए। शिंजो आबे के समय से भारत और जापान के सुदढ़ संबंधों जो प्रगति हुई है, उसे किशिदा और आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं। पीएम मोदी के साथ उनकी बैठक कई मायनों में अहम रही। किशिदा खुद भारत से अच्छे संबंधों को और प्रगाढ़ करने के हिमायती रहे हैं। जानिए 5 ऐसे कारण कि फुमियो किशिदा की भारत यात्रा क्यों अहम है।

1. हिरोशिमा के मूल निवासी फुमियो किशिदा ने 4 अक्टूबर, 2021 को जापान के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। वह हिरोशिमा से सांसद भी रह चुके हैं. वह पहले जापान के विदेश मंत्री थे. उस क्षमता में किशिदा 4 बार पीएम मोदी से मिल चुके हैं। उन्होंने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की नीति अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष के रूप में भी पीएम मोदी से मुलाकात की।. जब वह विदेश मंत्री थे तब भी उन्होंने भारत का दौरा किया था।

2. जापान के प्रधानमंत्री के रूप में फुमियो किशिदा की यह पहली भारत यात्रा है। यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा भी है (उन्होंने सीओपी26 के लिए ग्लासगो का दौरा किया)। यह किसी दूसरे देश के सरकार के प्रमुख/राज्य स्तर के प्रमुख की इस वर्ष भारत की पहली यात्रा भी है। जापान में 2018 में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के 3.5 साल बाद भारतीय और जापानी प्रधानमंत्रियों के बीच यह बैठक हुई है।

इस वर्ष भारत-जापान राजनयिक संबंधों की स्थापना (28 अप्रैल 1952) की 70वीं वर्षगांठ भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने फुमियो किशिदा के पद ग्रहण करने के तुरंत बाद अक्टूबर 2021 में फोन पर उनसे बात की थी। दोनों नेताओं ने भारत और जापान के बीच विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की। उभरती हुई भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को देखते हुए, दोनों पक्ष अपनी साझेदारी को गहरा करने पर विचार कर रहे हैं।

3. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को लेकर बातचीत हुई। रक्षा और सुरक्षा और क्षेत्रीय संदर्भ में प्रगति पर बातचीत हुई। भारत और जापान ने आपूर्ति और सेवा समझौते (RPSS) के पारस्परिक प्रावधान पर हस्ताक्षर किए थे। इसे लेकर पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक नवंबर 2019 में हुई थी।

भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना के लिए दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों के बीच 2017 के शिखर सम्मेलन में बात हुई थी। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी, वन प्रबंधन, आपदा जोखिम में कमी और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं का समन्वय करना है। मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में राजमार्गों के उन्नयन सहित कई परियोजनाएं चल रही हैं। पीएम ने पिछले साल असम और मेघालय के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर 20 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला रखी थी।

भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ट्रेड एंड कॉमर्स मिनिस्टर्स ने 27 अप्रैल 2021 को एससीआरआई (Supply Chain) Resilience Initiative लॉन्च किया। यह पहल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखलाओं के लचीलेपन को बढ़ाने और भरोसेमंद स्रोतों को विकसित करने का प्रयास करती है। आपूर्ति और निवेश आकर्षित करने के लिए प्रारंभिक परियोजनाओं के रूप में सप्लाई चेन को लेकर बेस्ट प्रैक्टिसेज को साझा करना; और मैचिंग इवेंट का आयोजन पूरा कर लिया गया है।

4. पीएम मोदी की 2014 में हुई जापान यात्रा के बाद से, दोनों देशों द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों के कार्यान्वयन पर जबरदस्त प्रगति हुई है। दोनों देशों ने भारत में सार्वजनिक और निजी निवेश में 3.5 ट्रिलियन जापानी येन का लक्ष्य हासिल किया है जिसकी घोषणा 2014 में पीएम मोदी और पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे ने की थी। आज भारत में 1,455 जापानी कंपनियां हैं। ग्यारह जापान औद्योगिक टाउनशिप (JIT) की स्थापना की गई है, जिसमें राजस्थान में नीमराना और आंध्र प्रदेश में श्री सिटी में सबसे अधिक कंपनियां हैं।

भारत में एफडीआई का 5वां सबसे बड़ा स्रोत जापान है; ओडीए का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता (भारत का विकास भागीदार) है। जापानी के सहयोग से भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कई प्रमुख परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, मेट्रो परियोजनाएं, डीएमआईसी आदि शामिल हैं। पिछले साल पीएम मोदी ने वाराणसी में जापान के सहयोग से बने कन्वेंशन सेंटर (रुद्राक्ष) का उद्घाटन किया था, तत्कालीन जापानी पीएम योशीहिदे सुगा ने इस मौके पर एक वीडियो संदेश भेजा था।

दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2018 में एक डिजिटल साझेदारी पर हस्ताक्षर किए थे. स्टार्टअप्स में सहयोग इस साझेदारी के तहत एक जीवंत पहलू के रूप में उभरा है. अब तक भारतीय स्टार्टअप्स ने जापानी वीसी से 10 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की राशि जुटाई है. भारत और जापान ने भारत में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप में निवेश करने के लिए एक निजी क्षेत्र द्वारा संचालित फंड-ऑफ-फंड्स भी लॉन्च किया है, जिसने अब तक 100 मिलियन अमरीकी डालर जुटाए हैं.

5. फुमियो किशिदा अगले 5 साल में भारत में 5 ट्रिलियन येन (42 अरब डॉलर) निवेश करने की घोषणा की है। उम्मीद है कि किशिदा और मोदी जल्द से जल्द दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच टू-प्लस-टू बैठक बुलाने पर सहमत होंगे। विदेश सचिव अरिंदम बागची ने कहा कि भारत और जापान ने अपनी ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ के दायरे में बहुआयामी सहयोग किया है। भारत-जापान शिखर सम्मेलन 2020 और साथ ही 2021 में मुख्य रूप से कोविड -19 महामारी के कारण आयोजित नहीं किया जा सका। जापान इस साल क्वाड नेताओं का एक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है और प्रधानमंत्री मोदी के इसमें भाग लेने की उम्मीद है।

जापान के प्रधानमंत्री के रूप में फुमियो किशिदा की यह पहली भारत यात्रा है। यह उनकी पहली द्विपक्षीय यात्रा भी है (उन्होंने सीओपी26 के लिए ग्लासगो का दौरा किया)। यह किसी दूसरे देश के सरकार के प्रमुख/राज्य स्तर के प्रमुख की इस वर्ष भारत की पहली यात्रा भी है। जापान में 2018 में हुए पिछले शिखर सम्मेलन के 3.5 साल बाद भारतीय और जापानी प्रधानमंत्रियों के बीच यह बैठक हुई है।

इस वर्ष भारत-जापान राजनयिक संबंधों की स्थापना (28 अप्रैल 1952) की 70वीं वर्षगांठ भी है। प्रधानमंत्री मोदी ने फुमियो किशिदा के पद ग्रहण करने के तुरंत बाद अक्टूबर 2021 में फोन पर उनसे बात की थी। दोनों नेताओं ने भारत और जापान के बीच विशेष सामरिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूत करने की इच्छा व्यक्त की। उभरती हुई भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिति को देखते हुए, दोनों पक्ष अपनी साझेदारी को गहरा करने पर विचार कर रहे हैं।

3. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच मुक्त, खुले और समावेशी इंडो-पैसिफिक को लेकर बातचीत हुई। रक्षा और सुरक्षा और क्षेत्रीय संदर्भ में प्रगति पर बातचीत हुई। भारत और जापान ने आपूर्ति और सेवा समझौते (RPSS) के पारस्परिक प्रावधान पर हस्ताक्षर किए थे। इसे लेकर पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय बैठक नवंबर 2019 में हुई थी।

भारत-जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना के लिए दोनों देशों के राष्ट्र प्रमुखों के बीच 2017 के शिखर सम्मेलन में बात हुई थी। इसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत में कनेक्टिविटी, वन प्रबंधन, आपदा जोखिम में कमी और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं का समन्वय करना है। मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में राजमार्गों के उन्नयन सहित कई परियोजनाएं चल रही हैं। पीएम ने पिछले साल असम और मेघालय के बीच ब्रह्मपुत्र नदी पर 20 किलोमीटर लंबे पुल की आधारशिला रखी थी।

भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ट्रेड एंड कॉमर्स मिनिस्टर्स ने 27 अप्रैल 2021 को एससीआरआई (Supply Chain) Resilience Initiative लॉन्च किया। यह पहल हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आपूर्ति श्रृंखलाओं के लचीलेपन को बढ़ाने और भरोसेमंद स्रोतों को विकसित करने का प्रयास करती है। आपूर्ति और निवेश आकर्षित करने के लिए प्रारंभिक परियोजनाओं के रूप में सप्लाई चेन को लेकर बेस्ट प्रैक्टिसेज को साझा करना; और मैचिंग इवेंट का आयोजन पूरा कर लिया गया है।

4. पीएम मोदी की 2014 में हुई जापान यात्रा के बाद से, दोनों देशों द्वारा लिए गए कई महत्वपूर्ण निर्णयों के कार्यान्वयन पर जबरदस्त प्रगति हुई है। दोनों देशों ने भारत में सार्वजनिक और निजी निवेश में 3.5 ट्रिलियन जापानी येन का लक्ष्य हासिल किया है जिसकी घोषणा 2014 में पीएम मोदी और पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे ने की थी। आज भारत में 1,455 जापानी कंपनियां हैं। ग्यारह जापान औद्योगिक टाउनशिप (JIT) की स्थापना की गई है, जिसमें राजस्थान में नीमराना और आंध्र प्रदेश में श्री सिटी में सबसे अधिक कंपनियां हैं।

भारत में एफडीआई का 5वां सबसे बड़ा स्रोत जापान है; ओडीए का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता (भारत का विकास भागीदार) है। जापानी के सहयोग से भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कई प्रमुख परियोजनाएं प्रगति पर हैं, जिनमें मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर, मेट्रो परियोजनाएं, डीएमआईसी आदि शामिल हैं। पिछले साल पीएम मोदी ने वाराणसी में जापान के सहयोग से बने कन्वेंशन सेंटर (रुद्राक्ष) का उद्घाटन किया था, तत्कालीन जापानी पीएम योशीहिदे सुगा ने इस मौके पर एक वीडियो संदेश भेजा था।

दोनों पक्षों ने अक्टूबर 2018 में एक डिजिटल साझेदारी पर हस्ताक्षर किए थे. स्टार्टअप्स में सहयोग इस साझेदारी के तहत एक जीवंत पहलू के रूप में उभरा है. अब तक भारतीय स्टार्टअप्स ने जापानी वीसी से 10 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की राशि जुटाई है. भारत और जापान ने भारत में प्रौद्योगिकी स्टार्टअप में निवेश करने के लिए एक निजी क्षेत्र द्वारा संचालित फंड-ऑफ-फंड्स भी लॉन्च किया है, जिसने अब तक 100 मिलियन अमरीकी डालर जुटाए हैं.

5. फुमियो किशिदा अगले 5 साल में भारत में 5 ट्रिलियन येन (42 अरब डॉलर) निवेश करने की घोषणा की है। उम्मीद है कि किशिदा और मोदी जल्द से जल्द दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच टू-प्लस-टू बैठक बुलाने पर सहमत होंगे। विदेश सचिव अरिंदम बागची ने कहा कि भारत और जापान ने अपनी ‘विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी’ के दायरे में बहुआयामी सहयोग किया है। भारत-जापान शिखर सम्मेलन 2020 और साथ ही 2021 में मुख्य रूप से कोविड -19 महामारी के कारण आयोजित नहीं किया जा सका। जापान इस साल क्वाड नेताओं का एक व्यक्तिगत शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए तैयार है और प्रधानमंत्री मोदी के इसमें भाग लेने की उम्मीद है।

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