Highlights
- भारी बारिश की संभावना अभी जारी रहेंगे
- इसमें मुख्य भूमिका तापमान और दबाव का होता है
- पिछले साल 20 सितंबर के महीने में भी भारी बारिश हुई थी
Weather Update In Delhi Ncr: पिछले दो-तीन दिनों से दिल्ली एनसीआर में भारी बारिश हो रही है। अक्टूबर के महीने में बारिश होने से लोगों का हाल बुरा हो गया है। नोएडा, दिल्ली और गुरुग्राम की सड़के पानी में डूब चुकी हैं। तेजी बारिश के कारण शनिवार के शाम में भारी ट्रैफिक जाम देखने को मिला। मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार तक मौसम में कोई बदलाव नहीं देखने को नहीं मिल सकता है। आमतौर पर सितंबर के लास्ट तक मानसून वैसे तो लौट जाता है लेकिन मानसून लौटने के बजाय इतनी बारिश क्यों हो रही है इसके पीछे का क्या कारण है। आप भी सोच रहे होंगे कि आखिर बारिश होने का कारण क्या है।
बारिश के पैटर्न में बदलाव देखने को मिल रहे हैं
इस साल जुलाई और अगस्त के महीने में जितनी उम्मीद थी उतनी बारिश नहीं हो पाई। बिहार और उत्तर प्रदेश के कई इलाके सूखाग्रस्त रहे। वहीं भारत समेत दुनिया भर में बारिश होने का पैटर्न बदल रहा है। इस साल आपने देखा होगा कि यूरोप में भीषण गर्मी हुई। उन इलाकों में जहां पर अधिक बारिश होती है वहां पर बारिश की नामोनिशान नहीं दिखी ऐसे कई इलाके देखे गए जहां पर बारिश नहीं होती है वहां बारिश हुई। पाकिस्तान में भी आपने देखा होगा कि भारी बारिश के कारण कई हिस्से पूरी तरह से जलमग्न हो गए। पिछले साल 20 सितंबर के महीने में भी भारी बारिश हुई थी।
क्या la nino effect है?
आपको बता दें कि पिछले महीने में सितंबर में लगातार बारिश हो रहे थे। उस समय मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि ला नीनो का इफेक्ट है। सितंबर में भारी बारिश होना सामान्य बात नहीं है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि सितंबर में बारिश हो रही है इसके पीछे कोई अहम वजह नहीं है हालांकि पिछले कुछ सालों में सितंबर में हो रही बारिश का बड़ा कारण ला निना इफेक्ट को भी बताया जा रहा था। इसमें होता है कि प्रशांत महासागर के मध्य में मौसम ठंडा हो जाता है और मॉनसून वाली बारिश से ज्यादा होने लगती हैं। मौसम विभाग के मुताबिक, वर्तमान में विक्टोरियन पेसिफिक रीजन में la nino effect की स्थिति दिखाई दे रही है। वही अनुमान है कि इस तरह के हालात साल के अंत तक रहेंगे। यानी इसका मतलब सर्दी के मौसम में बारिश अगर हो जाए तो आश्चर्यचकित करने वाली बात नहीं होगी। वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल सितंबर और अक्टूबर के महीने में ज्यादा बारिश हो सकती है।
लो प्रेशर सिस्टम Low Pressure System का क्या गणित है?
बारिश होता कैसे होता है। इसके पीछे का गणित समझते हैं। इसमें मुख्य भूमिका तापमान और दबाव का होता है। गर्मी जैसे-जैसे बढ़ती है तो हवा का दबाव कम होता है और यह हवाएं ऊपर की ओर उठती हैं इसके बाद ज्यादा दबाव वाले क्षेत्र के बादल कम दबाव वाले क्षेत्र की ओर आते हैं और जिसके कारण बारिश होने लगती हैं।
ठंड के मौसम होंगी बारिश
सितंबर और दिसंबर जनवरी जैसे महीनों में बारिश का होना इसके पीछे लौटते हुए मॉनसून की वजह है। आमतौर पर 17 सितंबर को मानसून वापस जाना शुरू हो जाता था लेकिन इस साल 3 दिन की देरी से मॉनसून लौटना शुरू हुआ है। la nino effect प्रभाव और लो प्रेशर सिस्टम की वजह से मॉनसून के लौटने में लगभग 4 हफ्ते का समय और लगेगा। यानी दिल्ली एनसीआर समेत कई इलाकों में भारी बारिश की संभावना अभी जारी रहेंगे।