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हिंदी पत्रकारिता दिवस क्यों मनाया जाता है? भारत में कब छपा था पहला हिंदी अखबार? पूरी जानकारी

आज हिंदी पत्रकारिता दिवस है। हर साल 30 मई को हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है। हिंदी के प्रचार-प्रसार में पत्रकारिता का भी अहम योगदान रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार हिंदी का अखबार कब छपा था?

Written By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: May 30, 2024 7:05 IST
Why is Hindi Journalism Day celebrated When was the first Hindi newspaper printed in India- India TV Hindi
Image Source : FACEBOOK पहली बार कब छपा था हिंदी अखबार?

"हिंदी है हम वतन, है हिंदोस्तां हमारा।" इसमें एक शब्द है हिंदी, जो हमारी मातृभाषा है। हिंदी जो भारत को एक छोर से दूसरे छोर तक जोड़ने का काम करती है। उस हिंदी को आगे बढ़ाने में अहम योगदान पत्रकारिता ने भी दिया है। 30 मई को हर साल "हिंदी पत्रकारिता दिवस" मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर पहली बार भारत में कब हिंदी का अखबार छपा था। हिंदी भाषा में उदन्त मार्तण्ड के नाम से पहला समाचाप पत्र 30 मई 1826 को निकाला गया था। यही कारण है कि इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

कलकत्ता में छपा था पहला हिंदी अखबार

बता दें कि 30 मई को पहली बार पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने इसे साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में शुरू किया था। इसका प्रकाशन पहली बार कलकत्ता में हुआ था। पंडित जुगल किशोर शुक्ल इस साप्ताहिक अखबार के प्रकाशक और संपादक थे। पंडित जुगल किशोल शुक्ल कानपुर के रहने वाले थे जो पेशे से वकील थी। हालांकि उनकी कर्मस्थली कलकत्ता रही। ये वो समय था जब भारत पर ब्रिटिश शासन का कब्जा था। भारतीयों के अधिकारों को दबाया और उन्हें कुचला जाता था। ऐसे में हिंदुस्तानियों की आवाज को उठाने के लिए पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने "उदन्त मार्तण्ड" अखबार का प्रकाशन शुरू किया। 

पहली बार 500 प्रतियां छापी गई थीं

पहली बार इसका प्रकाशन कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन में में किया गया। यह साप्ताहिक अखबार हर सप्ताह मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था। बता दें कि इस समय कलकत्ता में अंग्रेजी, बांग्ला और उर्दू भाषा का प्रभाव था। बंगाल में इस समय इन्हीं भाषाओं के अखबार निकाले जाते थे। हिंदी भाषा का यहां एक भी अखबार नहीं था। हालांकि 1818-19 में कलकत्ता स्कूल बुक के बांग्ला समाचार पत्र "समाचार दर्पण" में कुछ हिस्से हिंदी में जरूर आते थे। इसके बाद 30 मई 1826 को उदन्त मार्तण्ड को प्रकाशित किया गया। पहली बार इस समाचार पत्र के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं।

मात्र कुछ महीनों में बंद हो गया पहला हिंदी समाचार पत्र

बंगाल में हिंदी के अखबारों की चलन न होने के कारण समाचार पत्र को डाक पत्र के माध्यम से भेजा जाता था। डाक दरें बहुत ज्यादा होने के कारण हिंदी भाषी राज्यों में इन अखबारों को भेजना आर्थिक रूप से नुकसानदायक था। इसके बाद पंडित जुगल किशोर ने ब्रिटिश शासन से अनुरोध किया कि वे डाक की दरों में थोड़ी छूट दें, ताकि हिंदी पाठकों तक अखबार को पहुंचाया जा सके। हालांकि इसके लिए ब्रिटिश सरकार राजी नहीं हुई। पैसों की दिक्कतों और महंगे डाक दरों के कारण उदन्त मार्तण्ड अखबार का प्रकाशन बहुत दिनों तक नहीं हो सका और 4 दिसंबर 1826 को ही अखबार के प्रकाशन को बंद करना पड़ा। 

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