Highlights
- मदर्द नेशनल फाउंडेशन ने अपनी याचिका में कई सवाल खड़े किए हैं
- मैन्युफैक्चर की डिटेल तक नहीं दिया गया है
- आविष्कारक हकीम हाफिज अब्दुल मजीद को माना जाता है
Rooh Afza Sharbat: 1947 में हिंदुस्तान के दो टुकड़े हो गए एक भारत और दूसरा पाकिस्तान के रूप में नया देश बना। ऐसे तो भारत और पाकिस्तान के बीच कई विवाद है जो कई वर्षों से चलते आ रहे हैं। इसी बीच एक नया विवाद सामने आया है। यह विवाद रूह अफजा शर्बत से जुड़ा है। हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने ई-कॉमर्स कंपनी अमेज़न इंडिया को पाकिस्तान में बन रहे रूह अफजा शर्बत को भारत में अपने प्लेटफार्म से हटाने के लिए निर्देश दिया है।
अगली सुनवाई होगी इतने तारीख को
आपको बता दें कि कोर्ट ने 7 सितंबर को यह आदेश भारत में सोशल वेलफेयर एनजीओ हमदर्द नेशनल फाउंडेशन की याचिका पर कार्यवाही किया है। जो रूह अफजा अमेज़न के प्लेटफार्म के अनुसार भारत में बेचा जा रहा है वह रूह अफजा पाकिस्तान की कंपनी बना रही है। वहीं भारत में इसी शर्बत को हमदर्द लैबोरेट्रीज ही तैयार करती है। Live law की मुताबिक, हाईकोर्ट ने अमेजॉन को सप्ताह के अंदर दाखिल करने का निर्देश दिया है। वही कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को करेगी।
शर्बत के मैन्युफैक्चर से जुड़ी कोई डिटेल नहीं
हमदर्द नेशनल फाउंडेशन ने अपनी याचिका में कई सवाल खड़े किए हैं। याचिका के मुताबिक अमेज़न पर बिक रहे पाकिस्तानी शर्बत की पैकेजिंग पर इसे बनाने वाली कंपनी के बारे में कोई भी विवरण नहीं दिया गया है। इस मामले को देखते हुए हाईकोर्ट ने बताया है कि यह काफी आश्चर्यजनक करने वाला मामला है। हाईकोर्ट ने बताया कि रूह अफजा भारत में कई दशकों से इस्तेमाल होते आ रहा है। इसकी क्वालिटी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट और लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट के मानकों पर खरी उतरती है। ऐसे में यह बेहद ही चौंकाने वाला मामला है कि अमेजन रूह अफजा अपने ई-कॉमर्स साइट के जरिए इंपोर्टेड शर्बत बेच रहा है लेकिन शर्बत के ऊपर मैन्युफैक्चर की डिटेल तक नहीं दिया गया है।
क्या है रूह अफजा शर्बत
रूह अफजा एक ऐसा शर्बत है जिसका इस्तेमाल सबसे ज्यादा गर्मी के दिनों में किया जाता है। यह गहरे गुलाबी रंग का मीठा शर्बत होता है। इसे बनाने में फल, गुलाब की पंखुड़ियां और जड़ी बूटी को यूनानी दवा फार्मूले से मिश्रित कर तैयार किया जाता है। गर्मी के दिनों में इसे इसलिए इस्तेमाल किया जाता है किस में ऐसे कई तत्व हैं, जो बॉडी को ठंड रखते हैं। भारत में इसका इस्तेमाल काफी लंबे समय से किया जा रहा है। अक्सर लोग ठंडे पानी या दूध में मिलाकर पिया करते हैं। खास तौर पर त्योहारों में इस शर्बत का काफी उपयोग किया जाता है।
कहां हुई आविष्कार?
यह शरबत सबसे पहले बीसवीं सदी के पहले दशक में गर्मी में लू लगने के इलाज के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली में तैयार किया गया था। इतिहासकारों के मुताबिक, आविष्कारक हकीम हाफिज अब्दुल मजीद को माना जाता है। हकीम हाफिज दिल्ली में ही यूनानी पद्धति से एक छोटा सा क्लीनिक चलाते थे। उन्हें यूनानी दवाओं में काफी गहरी रुचि थी। बता दें कि कई दक्षिण एशियाई देशों में भी रूह अफजा काफी प्रसिद्ध है।
बंटवारे का दर्द यहां भी
रूह अफजा को लेकर भारत और पाकिस्तान के झगड़े की जड़ साल 1947 के भारत विभाजन में छिपी है। बंटवारे में पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान बनाए गए लेकिन राबिया बेगम के बड़े बेटे हकीम अब्दुल हमीद हिंदुस्तान को ही अपना घर माना। इसके उलट उनके छोटे बेटे हकीम मोहम्मद पश्चिमी पाकिस्तान यानी वर्तमान पाकिस्तान को अपना देश के रूप में चयन किया। तो बस यहीं से रूह अफजा दोनों देशों के बीच विवाद का जड़ बन गया। साल 2019 में ईद के मौके पर भारत में रूह अफजा की डिमांड अचानक इतनी तेजी से बढ़ गई कि बाजार में इस की किल्लत हो गई इसके बाद हमदर्द लैबोरेट्रीज पाकिस्तान को भारत सरकार से इजाजत मिलने पर वाघा अटारी बॉर्डर के जरिए रूह अफजा सप्लाई करने का प्रस्ताव दिया गया।